लखनऊ: गुर्जर समुदाय 15 मई से फिर से बयाना में महापंचायत कर आरक्षण आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं. इसके चलते सरकार और रेलवे अलर्ट हो गई है. रेलवे ने गुर्जर आंदोलन से निपटने के लिए सुरक्षा बल बुला लिए हैं.
खबरों के अनुसार आंदोलन के मद्देनजर भरतपुर के संभागीय आयुक्त ने गुर्जर बाहुल्य 80 ग्राम पंचायतों के 167 गांवों में इंटरनेट पर 15 मई की शाम तक पाबंदी लगा दी है.
उधर, रविवार दोपहर को राज्य सरकार की ओर से जिला कलेक्टर संदेश नायक ने गुर्जर नेता किशोरी सिंह बैंसला से वार्ता का प्रस्ताव भेजा है. अब तक गुर्जर पांच बार आंदोलन कर चुके हैं और हर बार करोड़ों का नुकसान तो होता ही है साथ ही कई लोगों की जान भी चली जाती है.
वर्ष 2007 में 29 मई से 5 जून सात दिन गुर्जरों में आंदोलन किया था. इससे 22 जिले प्रभावित रहे और 38 लोग मारे गए. इसके बाद 23 मई से 17 जून 2008 तक 27 दिन तक आंदोलन चला. 22 जिलों के साथ 9 राज्य प्रभावित रहे। 30 से ज्यादा मौतें हुई.
फिर गुर्जर आंदोलन 20 दिसंबर 2010 को फिर सुलगा. बयाना में रेल रोकी गई थी. 21 मई 2015 को कारवाड़ी पीलुकापुरा में रेलवे ट्रैक रोका और इसकी सूचना 13 मई 2015 को ही दी गई. अब तक 72 गुर्जर आंदोलन में मरे.
आंकड़ों पर नजर डालें तो गुर्जर आरक्षण की वजह से अब तक 145 करोड़ रुपए की सरकारी संपत्तियों और राजस्व का नुकसान दर्ज किया गया. जबकि आम आदमियों व प्रतिष्ठानों का 13 हजार 500 करोड़ रु. से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
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