
अशाेक यादव, लखनऊ। राजस्थान की गहलोत सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कार्यालय नहीं आने वाले कर्मचारियों की अनुपस्थिति को नियमित करने का फैसला किया है। अब लॉकडाउन में दफ्तर न आ पाने वाले कर्मचारियों के रिकॉर्ड में अनुपस्थिति दर्ज नहीं होगा।
सीएम ने इन कर्मचारियों को लॉकडाउन अवधि की हाजरी माफी देने का ऐलान किया है। सीएम अशोक गहलोत ने इस मामले में वित्त विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। गहलोत सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों में खुशी की लहर है।
केंद्र सरकार के द्वारा लॉकडाउन की अवधि में कार्यस्थलों पर उपस्थित नहीं हो पाने वाले कर्मचारियों की अनुपस्थिति को नियमित करने के संबंध में 28 जुलाई को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। उसी तर्ज पर गहलोत सरकार ने भी सरकारी कर्मचारियों को यह राहत दी है।
केन्द्र सरकार की ओर से 24 मार्च, 2020 को घोषित देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सार्वजनिक परिवहन और विमान सेवाओं सहित अंतरराज्यीय आवागमन पर प्रतिबन्ध लगाए गए थे।
इन प्रतिबन्धों के कारण सरकारी कर्मचारी अपने दफ्तरों और कार्यस्थलों पर उपस्थित नहीं हो सके थे। इनके अनुपस्थिति काल को सरकार ने नियमित करने का फैसला किया है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खान व भू-विज्ञान विभाग में कार्यालय सहायकों के 195 छाया पद सृजित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इस फैसले से विभाग में वर्कचार्ज के स्वीकृत पदों में से योग्यता पूरी कर नियमित होने के बाद एलडीसी से पदोन्नत हुए यूडीसी को कार्यालय सहायक के पद पर भी प्रमोशन का लाभ मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री ने यह स्वीकृति इस आधार पर दी है कि जैसे-जैसे कर्मचारी सेवानिवृत्त या उच्च पदों पर पदोन्नत होते जाएंगे। उनके पद भी समाप्त होते जाएंगे। इससे पहले स्वीकृत मूल कैडर पदों की नियुक्तियां और प्रमोशन प्रभावित नहीं हो सके।
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