
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। लॉकडाउन के मुश्किल वक़्त में मजदूरों की बेबसी की तस्वीरें जहां रोंगटे खड़े कर देती हैं तो वहीं सरकारी अमला अक्सर पत्थरदिल बना इनके साथ अमानवीय हरकत करता नज़र आ जाता है।
कुछ ऐसा ही यूपी के औरैया में सड़क हादसे का शिकार हुए झारखंड के मजदूरों के साथ हुआ।
इस दर्दनाक हादसे में मारे गए मजदूरों के शव जिस ट्रक पर रखकर झारखंड के बोकारो भेजे जा रहे थे, उसी ट्रक पर शवों के साथ ही हादसे में घायल हुए मजदूरों को भी बिठा दिया गया था।
शवों से आ रही तेज़ दुर्गंध के बीच साथ बिठाए गए घायलों की तस्वीर को जब झारखण्ड के सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट करते हुए अपने राज्य के अफसरों को शवों और घायलों को सम्मान देने को कहा तब जाकर यूपी का सरकारी अमला हरकत में आया।
आनन फानन में बोकारो जाने वाले ट्रक के साथ ही झारखंड व वेस्ट बंगाल जाने वाले दो ट्रकों को संगम नगरी प्रयागराज में दिल्ली हावड़ा नेशनल हाइवे पर रोका गया।
करीब डेढ़ घंटे इंतजार के बाद सरकारी अमले ने वहां एम्बुलेंस और शव वाहनों का इंतजाम कराया।
बोकारो जा रहे जिस ट्रक पर आठ शवों के साथ तीन मजदूरों को बिठाए जाने की तस्वीर वायरल हुई थी, उसके साथ के बाकी दोनों ट्रकों को भी प्रयागराज मेंं एनएच 2 के नवाबगंज इलाके में रोक लिया गया।
किसी को जानकारी न हो, इसके लिए एक तरफ के रास्ते को ब्लाक कर दिया गया।
जब मौके पर पहुंचे कुछ पत्रकारों नेे मामला के तह में जाने की कोशिश करने लगे तो यूपी पुलिस के जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश किया।
कोई कैमरे पर हाथ मारता रहा तो कोई पत्रकारों को ढकेलता रहा।
बहरहाल इसी आपाधापी में सत्रह शवों को तीन अलग अलग जगह जाने वाले शव वाहनों पर शिफ्ट कर दिया गया और तीन घायलों को एम्बुलेंस पर सिप्ट कर दिया।
ट्रक व शव वाहन को वहां से आगे भेजकर छिपा दिया गया।
रात करीब सवा नौ बजे शव वाहनों व एम्बुलेंस को आगे के लिए रवाना कर दिया गया।
एक ट्रक के ड्राइवर राजेश ने बताया कि शवों से इतनी दुर्गंध आ रही थी कि आगे भी बैठना मुश्किल हो रहा था।
औरैया से चलने के बाद जब उन्हें घायलों के बारे में एहसास हुआ तो उन्होंने मानवीयता दिखाते हुए घायलों को अपने वाहनों की आगे की केबिन में बिठा लिया।
कहा जा सकता है कि औरैया का हादसा जितना दर्दनाक था, उससे ज़्यादा सरकारी अमले की अमानवीय हरकत थी।