जसपुर : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में परिजनों का उपचार कराने आए एक व्यक्ति ने डॉक्टर के साथ हाथापाई कर कपड़े फाड़ दिए। अस्पताल के अन्य कर्मियों से भी मारपीट की गई। पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर आरोपी व उसके साथी को हिरासत में ले लिया। देर रात पुलिस ने आरोपी समेत तीन अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। इधर, घटना के विरोध में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने ओपीडी व आपातकालीन सेवाएं बंद रखने की घोषणा की है। संयुक्त चिकित्सालय के ईएमओ डॉ संजीव देशवाल ने बताया कि सोमवार दोपहर ग्राम मझरा मंडुवाखेड़ा निवासी खुद को बीएसएफ का जवान बता रहा समरपाल सिंह अपनी भाभी किरन (35) और बेटी खुशी (सात) को घायल अवस्था में अस्पताल लेकर पहुंचा। उसके साथ आठ दस ग्रामीण और भी थे।
उन्होंने और ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों ने घायलों का प्राथमिक उपचार कर सिटी स्कैन कराने के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया और एंबुलेंस से मरीजों की भेजने की व्यवस्था में लग गए। इसी बीच, रेफर करने से भड़के समरपाल और उसके साथ आए तीन चार अन्य लोगों ने उनसे, फार्मेसिस्ट आनंद बल्लभ भट्ट, वार्ड ब्वाय विकास कुमार, स्वच्छक राजेश कुमार हाथापाई शुरू कर दी और उनके कपड़े फाड़ दिए। अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में रखे अभिलेखों को भी नष्ट करने का प्रयास किया गया। डॉ संजीव ने कोतवाली पुलिस को फोन पर घटना की जानकारी दी। इस दौरान आरोपी करीब आधे घंटे तक हंगामा करते रहे। घटना की सूचना देने के बाद भी पुलिस नहीं पहुंची।
पुलिस के न आने पर उन्होंने स्वयं कोतवाली जाकर घटना की सूचना दी। तब पुलिस कर्मी अस्पताल पहुंचे और उन्होंने एक महिला सहित तीन लोगों को हिरासत में ले लिया। आरोपी पुलिस हिरासत में भी गोली मारने, देख लेने की धमकी देता रहा। कोतवाल उमेद सिंह दानू ने बताया कि दो लोगों को हिरासत में ले लिया है। सरकारी अस्पताल में रोगी को देखते हुए 20 अप्रैल 2017 को डॉ. एसके सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तब से डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए अस्पताल में एक होमगार्ड कर्मी को तैनात किया गया था। सोमवार को घटना के समय रोगी के साथ आए ग्रामीण डॉ. संजीव देशवाल एवं अन्य चिकित्सा कर्मियों को पीटते रहे लेकिन सुरक्षा में तैनात होमगार्ड अस्पताल के बाहर टहलता रहा। डॉ. एसके सिंह की हत्या के बाद सरकारी अस्पताल में कोई डॉक्टर तैनाती नहीं चाहता है।
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