
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, इंदौर : हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जहाँ समाज में बदलाव की सबसे बड़ी ताकत सरकारें, नीतियाँ या संसाधन नहीं, बल्कि लोग बन रहे हैं। ऐसे लोग, जो समाजसेवा की रोशनी दूसरों तक पहुँचाते हैं। ‘गोल्डन अचीवर अवॉर्ड्स- 2026’ के नाम से आयोजित इस पहल के अंतर्गत उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में कुल 21 सम्मान प्रदान किए जाएँगे, जो तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित हैं।
2030_का_भारत के फाउंडर डॉ. अतुल मलिकराम ने कहा, “हम मानते हैं कि समाज में असली बदलाव सिर्फ योजनाओं या नीतियों से नहीं आता, बल्कि उन लोगों से आता है, जो अपने दिल और काम से समाज को बेहतर बनाने की सोचते हैं। यह सम्मान उन सच्चे नायकों के लिए है, जिन्होंने अपने प्रयासों से लोगों की जिंदगी में रोशनी फैलाई।”
पहली श्रेणी प्रेरणादायी जेलर्स के सम्मान की है। इस श्रेणी के तहत संस्था उन जेलर्स को सम्मानित करेगी, जिन्होंने कारागार सेवा को महज़ सुरक्षा और अनुशासन तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे मानवीय सेवा, सुधार, शिक्षा और पुनर्वास के रूप में आगे बढ़ाया है। ये वे लोग हैं, जिन्होंने बंदियों के जीवन को बदलने के उद्देश्य से उन्हें फिर से सम्मानपूर्वक समाज में लौटने की राह दिखाई है ।
दूसरी श्रेणी उन लोगों के सम्मान की है, जो पेशे से शिक्षक नहीं हैं, लेकिन बावजूद इसके शिक्षा के वाहकों की भूमिका निभा रहे हैं। इनके पास स्कूल या क्लासरूम हो न हो, लेकिन जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का जज़्बा भरपूर है। ये लोग अपने रोजमर्रा के जीवन से समय निकालकर उन बच्चों को पढ़ाते हैं, जिनके पास अवसर और उचित साधन नहीं हैं।
तीसरी श्रेणी उन लोगों की है, जो भोजन की बर्बादी रोकने के लिए अभियान चलाते हैं। ये वे लोग हैं, जिनके प्रयास भोजन को कचरा नहीं, किसी की भूख मानकर आगे बढ़ते हैं।
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