
अशाेेेक यादव, लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में कोविड-19 महामारी से सबसे अधिक मौत आगरा जिले में हुई है।
यहां अब तक कोविड-19 से आठ लोगों की जान जा चुकी है जबकि यहां संक्रमित लोगों की संख्या 348 है।
मरीजों की संख्या और मौत के आंकड़ों के मामले में आगरा यूपी में सबसे ऊपर है।
ये वही आगरा है जहां कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का जो मॉडल अपनाया गया था उसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी।
कुछ दिनों बाद ही यह मॉडल फेल हो गया और यहां मरीजों की संख्या नियंत्रित नहीं हो पा रही है।
दिन पर दिन मरीजों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।
कोरोना संक्रमितों के लगातार बढ़ रहे मामलों और आठ मौतों को लेकर केजीएमयू की टीम की जांच के बाद एसएन मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई।
अब कॉलेज की राजनीति गरमा गई है।
स्वास्थ्यकर्मियों के लगातार हो रहे संक्रमितों का जवाब किसी के पास नहीं है।
दबे स्वर से लोग एक-दूसरे पर आरोप लगाने से नहीं चूक रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या 1500 के पार, 45 जनपदों में 1299 एक्टिव मामले
शासन को लगातार सूचना मिल रही थीं कि आगरा में संक्रमण रुक नहीं रहा है।
बात तब ज्यादा गंभीर हो गई, जब स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित निकलने लगे।
चार डॉक्टर और अन्य स्टाफ के सात लोग संक्रमित मिले तो स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई।
तत्काल केजीएमयू से टीम भेजकर हकीकत जानी गई।
इससे पूर्व प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने भी बढ़ती संक्रमित संख्या और मेडिकल कालेज के प्राचार्य तथा मेडिकल कालेज के स्टाफ के बीच सामंजस्य न होने पर सवाल उठाए गए थे।
इधर, जब टीम ने साढ़े तीन सौ पेज की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी तो व्यवस्थाओं की पोल सामने आ गई।
कॉलेज के प्राचार्य उन दिनों आंख का ऑपरेशन कराने अवकाश पर चले गए थे।
उसके बाद दो अन्य लोगों को प्राचार्य का चार्ज दिया गया, उन्होंने बहाने कर चार्ज लेने से मना कर दिया था। इसको स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया।
एक की जांच चल रही है। इसको अनुशासनहीनता माना गया।
जांच रिपोर्ट में नमूने लेने वाले स्टाफ को ही अप्रशिक्षित पाया गया। इससे ज्यादा बड़ा मजाक क्या हो सकता है।
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