लखनऊ : उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा आयोजित रात्रिभोज में चाचा शिवपाल यादव और निर्दलीय विधायक राजा भइया के शामिल होने से अमित शाह का राज्यसभा वाला गणित गड़बड़ाता हुआ नजर आ रहा है। चूंकि अपने नौवें उम्मीदवार को जिताने के लिए भाजपा जिन विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही थी वो अब सपा से हाथ मिलाते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल बुधवार को अखिलेश यादव ने राज्यसभा (23 मार्च, 2018) चुनाव से पहले पार्टी के सभी विधायकों को रात्रिभोज पर बुलाया था। विरोधी खेमे में माना जा रहा था कि नाराजगी के चलते शिवपाल इसमें शामिल नहीं होंगे, लेकिन आखिरी समय में शिवपाल और निर्दलीय विधायक राजा भइया के शामिल होने से भाजपा की मुश्किलें खासी बढ़ती हुई नजर आ रही है।
गौरतल है कि उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटे हैं। इसमें 324 सीटें एनडीए के पास बताई जाती हैं। विधायकों की संख्या बल पर भाजपा अपने आठ उम्मीदवारों को आराम से राज्यसभा भेज सकती है। हालांकि इसके बाद भी भाजपा के 28 विधायक बच जाते हैं। इस हिसाब से देखें को अपने नौवें उम्मीदवार को जिताने के लिए पार्टी को 9 और विधायक अपने खेमे में लाने होंगे। यूपी में एक सांसद के लिए चुने जाने के लिए 37 वोटों की जरूरत होगी। अगर भाजपा को सपा के सात बागी विधायकों का साथ मिल जाता है तो उसके वोटों की संख्या 35 हो जाएगी, जो की बहुतम से महज दो वोट दूर है। निषाद पार्टी के एकमात्र विधायक विजय मित्रा ने भी भाजपा का साध देने का ऐलान किया था।
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