पटना: सीबीआई ने बिहार के सृजन घोटाले में पहली चार्जशीट बुधवार को दायर कर दी. ये चार्जशीट पटना स्थित सीबीआई की विशेष कोर्ट में 6 आरोपियों के ख़िलाफ़ दायर की गयी हैं. फ़िलहाल इनमें से चार आरोपी न्यायिक हिरासत में भागलपुर जेल में बंद हैं. जिन छह आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गयी हैं उनमें सृजन महिला विकास समिति की मैनेजर सरिता झा, भागलपुर स्थित बैंक अव बड़ोदा के ब्रांच मैनेजर बरुन कुमार सिन्हा, पूर्व मैनेजर अरुण कुमार सिंह, इंडियन बैंक के क्लर्क अजय कुमार पांडेय, भू अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह और पूर्व नाज़िर राकेश कुमार झा शामिल हैं. इन लोगों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, जालसाज़ी, धोखाधड़ी और ग़बन के आरोप में आरोप पत्र धखिल किया गया हैं.सीबीआई ने इस मामले में छानबीन 25 अगस्त को शुरू की थी. फ़िलहाल वो सृजन घोटाले से सम्बंधित दस मामलों की जांच कर रही हैं. जांच एजेन्सी द्वारा निर्धारित समय के अंदर आरोप पत्र दायर करने से इस मामले में आरोपियों को फ़िलहाल ज़मानत मिलने की सम्भावना कम हो गयी हैं. इस मामले में जांच एजेन्सी द्वारा अब तक मुख्य आरोपियों जिसमें सृजन की सचिव प्रिया या उनके पति अमित जिनकी स्वर्गीय मां मनोरमा देवी इस पूरे घोटाले की मास्टमाइंड थीं. ये लोग अभी भी फ़रार हैं. सीबीआई द्वारा इन लोगों की गिरफ़्तारी ना होना काफ़ी विवाद का कारण हैं. आख़िर सीबीआई इनकी गिरफ़्तारी में क्यों तत्परता नहीं दिखा रही, वहीं सृजन के पैसे से कारोबार करने वाले लोगों से भी अभी तक पूछताछ नहीं हुई.
सृजन घोटाला क़रीब एक हज़ार करोड़ से अधिक का भागलपुर और उसके आसपास के कुछ जिलो में केंद्रित घोटाला हैं जहां एक एनजीओ ने बैंक वालों की मदद से सरकारी राशि का जमकर ग़बन किया. इस घोटाले में भागलपुर के कई ज़िला अधिकारियों ने सृजन की संस्थापक सचिव मनोरमा देवी की मदद की.
मनोरमा देवी अगर बिहार के विपक्षी दल राजद के आरोपों को मानें तो उन्हेंराजनीतिक वरदहस्त भी प्राप्त था और ख़ासकर भाजपा नेताओं का उनके ऊपर विशेष कृपा रहता था.