भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद कमलनाथ ने आज जारी अपने एक बयान में आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा किसानों के नाम पर पहले प्याज़ ख़रीदी, बाद में नीलामी और फिर सड़ना बताकर नष्ट किये जाने के नाम पर किये गये घोटालों-गड़बड़झालों की वजह से जनता सस्ती प्याज़ को कई गुना महँगी खाने पर मजबूर हो गयी है। किसानों के नाम पर किये गये इस फ़र्जीवाडे का फ़ायदा किसानों को तो नहीं मिला लेकिन अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत-साँठगाँठ से सरकार में बैठे ज़िम्मेदारों को ज़रूर हुआ। क़रीब 800 करोड़ की प्याज़ ख़रीदी बताकर, उसमें से क़रीब 200 करोड़ का प्याज़ नष्ट बताकर, उसे ठिकाने लगाने के नाम पर बड़ा खेल खेला गया।
नाथ ने कहा कि किसानों की प्याज़ को सरकार द्वारा 8 रुपये किलो में ख़रीदने का निर्णय निश्चित ही किसान हित में था लेकिन यह निर्णय सिर्फ़ दिखावटी साबित हुआ। किसानों के नाम पर पहले प्याज़ ख़रीदी में जमकर गड़बड़झाला-घोटाले किये गये। उत्पादन से ज़्यादा प्याज़ कई जिलो में ख़रीद ली गयी। प्रदेश के कई जिलो से बोगस किसानों के नाम पर ख़रीदी के व उत्पादन से ज़्यादा ख़रीदी के मामले सामने आये। मुनाफ़ाख़ोरों द्वारा किसानो के नाम पर सरकार को 8 रुपये किलो में प्याज़ बेचकर, बाद में उसी प्याज़ को सरकारी अधिकारियों से सेटिंग कर सस्ता ख़रीद कर, उसका स्टॉक कर, उसे ही जनता को महँगा टिकाया जा रहा है।
कमलनाथ ने कहा कि मेने उसी समय सरकार को ख़रीदी व नीलामी के नाम पर हो रहे इस फ़र्ज़ीवाडे के प्रति चेताते हुए, खुला पत्र लिखकर इस संबंध में बिंदुवार जानकारी माँगी थी। जो मुझे आज तक नहीं मिली और ना ही सरकार ने इस फ़र्ज़ीवाडे को रोकने के कोई क़दम उठाये एवं ना ही शिवराज सिंह ने इस फ़र्ज़ीवाडे पर अपनी चुप्पी तोड़ी।
ख़रीदी के बाद, भंडारण के अभाव में खुली पड़ी प्याज़ को नीलामी के नाम पर एक बार फिर जमकर खेल किये गये। जो कि बाद में मीडिया ने समय-समय पर उजागर किये। किस प्रकार नीलामी के नाम पर कमीशनखोरी से लेकर दरे बढ़ाने-घटाने के खेल प्रदेश भर में हुए। 8 रुपये किलो में ख़रीदा प्याज़, 20 पैसे से लेकर 2 से 3 रुपये तक में नीलामी में बेचा गया और बाद में ख़रीदी-नीलामी के फ़र्जीवाडे को छिपाने के लिये प्याज़ के सड़ने के नाम पर एक बड़ा खेल खेला गया। इस प्रकार प्याज़ के नाम पर तीन-तीन बार खेल किये गये।
सरकार ने घोषणा की थी कि ख़रीदा प्याज़, राशन दुकानों पर भेजकर जनता को सस्ता उपलब्ध कराया जायेगा लेकिन राशन दुकानो पर भेजने की बजाय, प्याज़ को सड़ा बताकर नष्ट करने का खेल शुरू किया गया। इस नष्ट प्याज़ को बाद में डम्प करने से लेकर, गाड़ने-दबाने के नाम पर व परिवहन के नाम पर करोड़ों रुपये ख़र्च कर दिये गये। सरकार ने इस सड़े प्याज़ से खाद-बिजली बनाने तक की घोषणा की लेकिन कही भी ये घोषणा पूरी होती नज़र नहीं आयी।
सरकार यदि समय रहते इस प्याज़ के बेहतर भंडारण की व्यवस्था कर लेती तो ये स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती लेकिन फिर ये खेल केसे खेला जाता ? प्याज़ को समय रहते यदि नीलाम कर दिया जाता या राशन की दुकानो पर पहुँचाया दिया जाता तो शायद करोड़ों का सरकारी नुक़सान बचाया जा सकता था।
सरकार के इस बेतुके निर्णय, फ़र्ज़ीवाडे व घोटाले के कारण आज जनता उसी प्याज़ को तीन से चार गुना क़ीमत पर ख़रीदने को मजबूर हो गयी है व सरकार को कोस रही है। इसकी दोषी शिवराज सरकार है। जिसने प्याज़ की ख़रीदी से लेकर नीलामी व नष्ट करने के नाम पर बड़े – बड़े खेल किये। शिवराज सरकार को इस पूरे मामले पर सारे ख़रीदी-नीलामी -सड़ने -नष्ट करने व परिवहन। के सारे आँकड़े व ख़र्च सार्वजनिक करने चाहिये।
जिस किसान के नाम पर ये फ़र्ज़ीवाडे किये गये, वो तो आज भी क़र्ज़ के बोझ के कारण आत्महत्या करने को मजबूर है और ज़िम्मेदार घोटाले कर मालामाल होते जा रहे है। कांग्रेस का कहना है कि प्याज़ के साथ-साथ दलहन ख़रीदी में भी इसी तरह के फ़र्ज़ीवाडो को अंजाम दिया गया है। कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी वो इन घोटालों व फ़र्ज़ीवाडो को किसानो व जनता के बीच ले जाकर शिवराज सरकार की पोल खोलेगी।