नगालैंड के मुख्यमंत्री शुरहोजेली लीजित्सू बुधवार को विधानसभा में विश्वासमत के लिए हाजिर ही नहीं हुए. इसके साथ ही विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के स्थगित कर दिया गया. मौजूदा सीएम के इस कदम से राज्य में नई तरह का राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है.
दरअसल राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने 60 सदस्यों वाली विधानसभा में 41 सदस्यों का समर्थन होने का दावा करते हुए नई सरकार के गठन का दावा किया था. इसके राज्यपाल पीबी आचार्य ने मौजूदा सीएम लीजित्सू से बुधवार सुबह 9.30 विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था. राज्यपाल ने इसके लिए स्पीकर को बुधवार को विधानसभा का विशेष सत्र को बुलाने का निर्देश दिया था.
राज्यपाल का यह निर्देश गुवाहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा बेंच के उस फैसले के बाद आया था, जिसमें कोर्ट ने लीजित्सू की शक्ति परीक्षण रोकने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया था. लीजित्सु ने अपनी याचिका में राज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि यह असंवैधानिक, अवैध, मनमाना तथा संविधान की बुनियादी विशेषताओं का उल्लंघन है.
हालांकि हाईकोर्ट ने राज्यपाल पीबी आचार्य के उस निर्देश को बरकरार रखा, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री शुरहोजेली लीजित्सु को बहुमत साबित करने के लिए कहा है. अपने आदेश में जस्टिस लानुसुंगकुम जमीर ने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता के पास सदन में बहुमत नहीं है, इसलिए राज्यपाल बिना किसी सहायता व सलाह के फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं.
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री जेलियांग को शहरी निकाय चुनावों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ राज्य भर में हुए प्रदर्शन के बाद 22 फरवरी को इस्तीफा देना पड़ा था.