लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के न्यायालय में गोमतीनगर निवासी यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में संयुक्त निदेशक नागरिक सुरक्षा के पद पर जवाहर भवन में तैनात आईजी अमिताभ ठाकुर के साथ-साथ थाना हजरतगंज के प्रभारी निरीक्षक राधारमण सिंह के खिलाफ एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने सीआरपीसी की धारा 156(3) का मुकदमा अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता के मार्फत दर्ज कराया है । त्रिभुवन कुमार ने बताया कि अदालत ने उर्वशी के मुकदमे को स्वीकार करके थाना हजरतगंज के प्रभारी को आख्या पेश करने का आदेश दिया है और मामले की अगली सुनवाई के लिए आने वाली 2 अप्रैल की तिथि नियत की है।
त्रिभुवन ने बताया कि मुकदमे में दर्जनों अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर अमिताभ ठाकुर पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने उच्च पद पर आसीन लोकसेवक और कानून का जानकार होते हुए भी स्वयं और अपनी पत्नी को प्रशासनिक और विधिक दंड से बचाने के लिए उनकी क्लाइंट उर्वशी शर्मा के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र किया है और उर्वशी की ख्याति को अपहानि पंहुचाने और उर्वशी को क्षति कारित करने के लिए जानते-समझते हुए अशुद्ध और मिथ्या दस्तावेज बनाकर लोकसेवक के समक्ष प्रस्तुत करने का आपराधिक कृत्य किया है, बकौल त्रिभुवन उर्वशी ने इस सम्बन्ध में थाना हजरतगंज और लखनऊ के एस.एस.पी. को भी अर्जियां दीं थीं लेकिन लखनऊ पुलिस आईजी जैसे बड़े अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और इसलिए अब अदालत के मार्फत अमिताभ के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कराने के लिए यह मुकदमा दर्ज कराया गया है।
त्रिभुवन ने बताया कि मामले की जडें साल 1999 में अमिताभ की देवरिया के एसपी पद पर तैनाती की अवधि में देवरिया इंडस्ट्रियल एरिया में अमिताभ की पत्नी नूतन ठाकुर द्वारा प्लाट आबंटन कराते समय अपने और अपने पति के लिए विभिन्न क्षद्म नामों का प्रयोग करने के साथ-साथ नूतन इंडस्ट्रीज नाम के प्रतिष्ठान के लिए सीतामढी, बिहार प्रयोग किये जाने से जुडी हैं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12-11-13 को ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में दिए गए कानून के तहत आईपीसी की धाराओं में कानूनी कार्यवाही की मांग की गई है।
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