
मां का दूध बच्चों के लिए अमृत समान होता है। ये न सिर्फ बच्चे के दिमाग के विकास में सहायक होता है, बल्कि इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट ओलिगोसैकाराइड2 एफएल संज्ञानात्मक (ज्ञान संबंधी) विकास में भी मदद करता है। एक हालिया शोध में यह खुलासा हुआ है।
विश्लेषण में सामने आई यह बात:
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने 50 माताओं और उनके बच्चों पर शोध किया। शोधकर्ताओं ने मां के दूध में मौजूद तत्वों और एक से छह महीने के बच्चों को दूध पिलाने की आवृत्ति का विश्लेषण किया। जब इन बच्चों की उम्र 24 महीने हो गई तो बेले-3 स्केल की मदद से बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को मापा गया। यह एक ऐसा परीक्षण है जिससे बच्चे के दिमागी विकास के बारे में पता लगाया जाता है। शोधकर्ता लार्स बोड ने कहा, मां के दूध के कई नमूनों में हमने ओलिगोसैकाराइड2 एफएल की मात्रा की पहचान की। यह तकनीक हमें दूध में मौजूद तत्वों में अंतर करने की क्षमता देती है। इससे बच्चे के संज्ञानात्मक विकास के बारे में कई जानकारियां मिलती हैं।
बेहतर प्रदर्शन करते हैं बच्चे :
पत्रिका प्लोस वन में प्रकाशित शोध में दर्शाया गया है कि मां के दूध में पहले के एक महीने में मौजूद ओलिगोसैकाराइड2 एफएल की मात्रा का संबंध दो साल के उम्र के बच्चों के संज्ञानात्मक विकास से था। इससे पता चलता है कि जन्म के बाद शुरुआती महीने में मां के दूध का सेवन करने से बच्चों का संज्ञानात्मक विकास अच्छा होता है। शुरुआती दो साल में बेहतर संज्ञानात्मक विकास होने से बच्चों के जीवन पर लंबा प्रभाव पड़ता है। वे स्कूल और विभिन्न कार्यों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
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