नई दिल्ली: बोइंग एएच-64 अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टरों का पहला जत्था आज गाजियाबाद (उत्तर-प्रदेश) के हिंडन एयरबेस पर पहुंचने वाला है. यहां से इन हेलीकॉप्टरों को भारतीय वायुसेना के पठानकोट एयरबस पर आधिकारिक जांच के लिये भेजा जायेगा. यहां ये हेलीकॉप्टर एमआई-35 की जगह लेंगे. रूस निर्मित एमआई-35 को भारतीय सेना से रिटायर कर दिया जायेगा.
अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टर का वजन 5 हजार 165 किलोग्राम है. इसकी कॉकपिट में दो पायलटों के बैठने की जगह है. बता दें कि इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अमेरिका ने आतंकी ओसामा बिन लादेन को मारने के अभियान में किया था.
इस हेलीकॉप्टर में हेलिफायर और स्ट्रिंगर मिसाइलें लगी हैं और दोनों तरफ 30एमएम की गन लगी है. मिसाइलों का पेलोड काफी तीव्र विस्फोटकों से भरा होता है. अपाचे हेलिकॉप्टर की सबसे खास विशेषता है इसकी हेल्मेट माउंडेट डिस्प्ले, इंटिग्रेटेड हेलमेट और डिस्प्ले साइटिंग सिस्टम है. इसकी सहायता से पायलट हेलीकॉप्टर में लगी ऑटोमैटिक एम230 चेन गन से सटीकता से हमला कर सकता है. अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टर में दो जेनरल इलेक्ट्रिक टी700 टर्बोशैफ्ट इंजन लगा है.
हेलीकॉप्टर के आगे की तरफ सेंसर फीट लगा है जिसकी सहायता से रात के अंधेरे में ये आसानी से उड़ान भर सकता है. इस दौरान भी इसकी रफ्तार 365 किलोमिटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. गौरतलब है कि अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टर ने पहली बार साल 1975 में उड़ान भरी थी. हालांकि अमेरिकी सेना में इस साल 1986 में शामिल किया गया. अब तक अपाचे हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अमेरिका के अलावा इजरायल, इजिप्ट और नीदरलैंड की सेनाएं करती रही हैं. इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल ज्यादातर सीक्रेट मिशन के लिये किया जाता है.
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