नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल भले ही राज्यसभा चुनाव जीत गए हों लेकिन भाजपा (भाजपा) के पराजित उम्मीदवार बलवंत सिंह चुनाव परिणाम को शीघ्र ही अदालत में चुनौती देने जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों का आरोप है कि चुनाव आयोग ने इस मामले में जो भी फैसला लिया उसमें सभी तथ्यों का ध्यान नहीं रखा गया और मतपेटी में डाले जा चुके वोट को वापस निकाल कर रद्द किया गया जो मतदान संबंधी नियमों के अनुरूप नहीं है। भाजपा का मानना है कि सुबह नौ बजकर 13 मिनट और नौ बजकर 15 मिनट पर डाले वोट को लेकर निर्वाचन अधिकारी, पर्यवेक्षक और कांग्रेस पार्टी ने शाम तक जरा भी विरोध नहीं जताया।
यहां तक कि मतदान समाप्त होने के बाद कुल वोटों की संख्या का दस्तावेज भी स्वीकार कर लिया लेकिन हार का अहसास होने पर शोर मचाना शुरू कर दिया। सूत्रों का कहना है कि चुनावी आचरण संबंधी 1961 के नियमावली में नियम 39 में मतदान की पूरी प्रक्रिया स्पष्ट रूप से बताई गई है। इसके मुताबिक किसी के वोट को अनधिकृत व्यक्ति को दिखाने जैसी अनियमितता पर निर्वाचन अधिकारी, पर्यवेक्षक आपत्ति करते हैं। अगर वोट मतपेटी में डाल दिया गया है और किसी ने मतदान के घंटों बाद तक आपत्ति नहीं की। कांग्रेस द्वारा मतदान बंद होने के बाद वोट संबंधी दस्तावेज भी स्वीकार कर लिया गया। लेकिन आयोग ने इन तथ्यों पर ध्यान दिये बिना ही केवल वीडियो फुटेज को देखकर निर्णय ले लिया। सूत्रों ने बताया कि अहमद पटेल को 44.01 वोट जीत के लिये चाहिये थे और उन्हें 44.40 वोट मिले हैं। यानी 0.4 वोटों से विजयी हुए हैं। अगर ये दो वोट अवैध करार नहीं दिए गए होते तो पटेल हार जाते। सूत्रों के अनुसार बलवंत सिंह राजपूत अपने वकीलों से परामर्श कर रहे हैं और जल्द ही चुनाव आयोग के निर्णय को अदालत में चुनौती देंगे।