लखनऊ। बीजेपी ने जिस लापरवाही, अलोकतांत्रिक व गै़र- जिम्मेदाराना ढंग से भ्रामक व मिथ्या लुभावना वादा गत लोकसभा आमचुनाव में करके देश की आमजनता को छलने व गुमराह करने का प्रयास किया था, ठीक उसी प्रकार से एक बार फिर घोषणा पत्र आदि के माध्यम से एक बार फिर जनता को वरगलाने की कोशिश इस चुनाव में यह पार्टी कर रही है, लेकिन काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश मायावती ने आज यहां कहा कि वास्तव में घोर चुनावी वादाखिलाफी व जनता से विश्वासघात करने वाली बीजेपी व श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को नया घोषणा पत्र जारी करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, उनपर विश्वास करना तो बहुत दूर की बात है। सबसे पहले उन्हें अपनी घोर वादाखिलाफी व जनविश्वासघात के लिये जनता से माफी मंगनी चाहिये।
उन्होंने 5 साल में केवल धन्नासेठों के लिए ही काम किया है। वास्तव में सत्ताधरी बीजेपी व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नया चुनावी घोषणा पत्र के बजाए उन्हें पिछले चुनावी वादों के सम्बंध में ’’कार्रवाई रिपोर्ट’जारी करना चाहिए था। लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उनमें है ही नहीं क्योंकि बीजेपी व श्री नरेन्द्र मोदी सरकार वादाखिलाफी व विश्वासघात करने वाली सरकारों की सरताज साबित हुई है और यह कोई लुकी-छिपी बात नहीं है।वैसे भी कुछ मुट्ठीभर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के ’’अच्छे दिन’’ को छोड़कर देश की 130 करेाड़ आमजनता को आज पांच साल के बाद भी उस वादे वाले ’’अच्छे दिन’’ व 15 से 20 लाख रुपये बैंक खाते में आने का इंतज़ार है जिसका वादा श्री मोदी ने देश के गरीबों से किया था। इसके विपरीत देश हर मामले में अच्छे दिन के बजाए हर प्रकार से बुरे दिन ही देख रहा है। बीजेपी के नेतागण इसे वादा नहीं बल्कि जुमलेबाजी कहकर नकारते हैं। इसलिये ऐसी गरीब-विरोधी, गैर-जिम्मेदार व जुमलेबाज सरकार सही व सच्ची देशहित व देशभक्त कैसे हो सकती है? इसीलिए इनका असली चेहरा अब बेनकाब हो गया है। इनका घोषणापत्र केवल छलावा ही छलावा है।
Suryoday Bharat Suryoday Bharat