नई दिल्ली: देश में जनता के प्रतिनिधि आज राष्ट्रपति के चयन के लिए अपने अपने मतों का प्रयोग कर रहें. संसद से लेकर राज्यों की विधानसभा में मतदान हो रहा है. लेकिन राष्ट्रपति भले ही देश के लिए चुना जाना है, लेकिन बिहार के लोगों और जनप्रतिनिधियों को इस चुनाव का बेसब्री से इंतजार रहा है.
राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया के दौरान ही बिहार में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर सीबीआई के छापे पड़े. सीबीआई ने बेनामी संपत्ति के मामलों में लालू यादव, उनके परिवार के कई सदस्यों के खिलाफ छापे मारी की. यह अलग बात है कि इस बात से बिहार की राजनीति में सुचिता की बात करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने काफी मुश्किलें आ खड़ी हुईं हैं. विपक्ष जहां उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग पर अड़ गया है वहीं आरजेडी ने भी अपने विधायकों की बैठक बुलाकर साफ कर दिया है कि तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे.
बिहार की राजनीति में राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर भी इस महागठबंधन के धड़े जेडीयू और राजद अलग अलग भूमिका में सामने आए. जहां जनता दल यूनाइटेड यानी नीतीश कुमार की जेडीयू ने बिहार के राज्यपाल रहे और एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए अपने समर्थन का ऐलान कर चुके हैं वहीं, आरजेडी ने साफ कर दिया है कि वह यूपीए की प्रत्याशी मीरा कुमार को वोट करेंगे. मीरा कुमार कांग्रेस पार्टी की सदस्य रही हैं. (ये भी पढ़ें : बिहार पर अमित शाह के इस बयान से बढ़ सकती है लालू प्रसाद यादव की टेंशन!)
राष्ट्रपति चुनाव के कारण जेडीयू और आरजेडी में मतभेद सामने आ गए. दोनों ने अलग अलग उम्मीदवारों को समर्थन की घोषणा की. इतना ही नहीं बिहार के लिए राष्ट्रपति चुनाव इसलिए अहम क्योंकि माना जा रहा है कि आज तक के लिए दोनों ही दल अपने अपने रुख पर स्पष्टता नहीं दिखा रहे थे. जहां तेजस्वी यादव के इस्तीफे पर जेडीयू की ओर से अभी तक केवल इशारा ही मिल रहा है कि तेजस्वी यादव को बेनामी संपत्ति के मामले में बेदाग साबित होने तक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, वहीं आरजेडी ने साफ कर दिया है कि इस्तीफे का सवाल ही नहीं है.
बिहार में जेडीयू के विधायकों की बैठक हो चुकी है. नीतीश कुमार ने ही बैठक की, लेकिन बैठक के बाद खबरें यही आई कि तेजस्वी यादव का मुद्दा नहीं उठा. लेकिन पार्टी के ही नेताओं की ओर से इशारा मिला है कि तेजस्वी को इस्तीफा देना होगा.
बताया जा रहा है कि राज्य के लोगों को राष्ट्रपति चुनाव में इसलिए दिलचस्पी है क्योंकि इस चुनाव के बाद राज्य की राजनीतिक स्थिति बदल जाएगी.
नीतीश कुमार की सरकार गिर सकती है और यह भी संभव है कि ऐसी स्थिति में बीजेपी अपना समर्थन दे दे. बीजेपी नेताओं की ओर से इस प्रकार के इशारे साफ साफ दिए जा चुके हैं. अब देखना है कि चुनाव के बाद राज्य की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है.