(कंचन यादव) मुंबई: बांबे हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभय ओक पर पक्षपात का आरोप लगा है। यह आरोप किसी साधारण व्यक्ति ने नहीं बल्कि महाराष्ट्र सरकार ने लगाया है। ध्वनि प्रदुषण मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ओक कई बार राज्य सरकार को घेर चुके हैं। लिहाजा राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर को पत्र लिखकर जस्टिस ओक की शिकायत की है। पत्र में कहा गया है कि न्यायाधीश ओक राज्य सरकार के कामों की कभी दखल नहीं लेते। वे पक्षपात करते हैं।
इधर मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ओक ने परोक्ष रुप से सरकार को चेताया है कि उनके 14 वर्ष के कार्यकाल में ऐसा आरोप नहीं लगा। किसी ने पक्षपात का आरोप लगाया है, लेकिन मामले की सुनवाई हम ही करेंगे। न्यायाधीश ओक और न्यायाधीश रियाज छागला की खंडपीठ ने स्पष्ट ने किया कि सरकार का पक्ष हम स्वीकार नहीं कर सकते। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश में संशोधन करने की अर्जी दी है। अर्जी पर फैसला होने तक सरकार को आदेश का पालन करना ही होगा। केंद्र सरकार ने 10 अगस्त को राज्य सरकार को ध्वनि प्रदुषण के नियमों में बदलाव कर शांतता क्षेत्र घोषित करने का अधिकार दिया था। बावजूद इसके आदेश पर अमल नहीं किया गया, जिसके चलते प्रदेश में एक भी शांतता क्षेत्र नहीं है।
आदेश का पालन करे सरकार
खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना पर राज्य सरकार को अमल करना चाहिए था। अस्पताल, कोर्ट, शैक्षणिक संस्थानों और धार्मिक स्थलों के 100 मीटर के परिसर में शांति क्षेत्र होना चाहिए। राज्य सरकार को ध्वनि यंत्रों को अनुमति देने की जल्दबाजी क्यों है। इससे पहले बुधवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की पैरवी कर रहे महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकेणी ने अदालत को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2016 का आदेश लागू नहीं हुआ है, इसलिए राज्य सरकार ने आदेश में संशोधन करने का अनुरोध करेगी। मुख्य न्यायाधीश ने प्रकरण सुनवाई के लिए दूसरी खंडपीठ के सुपुर्द कर दिया है।