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नोटबंदी एक वर्ष : घोषणा के दूसरे दिन सुबह ही मोदी जापान की यात्रा पर निकल गए थे

नई दिल्ली / लखनऊ : पिछले साल आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि आधी रात से क़रीब 90 प्रतिशत नोट बेकार हो जाएंगे. इस पहल को ग़लती से ‘नोटबंदी’ कहा गया और तबसे यही चल रहा है.

मोदी ने 500 और 1,000 रुपए के नोटों को रद्द कर दिया था और इसकी जगह 500 और 2,000 रुपए के नए नोटों को जारी किया था. तकनीकी तौर पर देखें तो ये ‘नोटबंदी’ नहीं, बल्कि ‘नोटबदली’ थी.

इस क़दम का एक अरब से अधिक लोगों पर असर पड़ा. 2016 में हुई इस भारतीय नोटबंदी को हाल के इतिहास में किसी भी देश के सबसे अधिक असर डालने वाले आर्थिक नीतिगत फ़ैसले में शुमार किया जाएगा.

आठ नवंबर को अपने भाषण में मोदी ने कहा था कि नोटबंदी के फ़ैसले के पीछे तीन कारण थे- काले धन को समाप्त करना, जाली नोटों की समस्या को हल करना और ‘आतंकवाद’ के आर्थिक स्रोतों को बंद करना.

इस घोषणा के दूसरे दिन सुबह ही मोदी जापान की यात्रा पर निकल गए थे. जब वो लौटे तब तक यहां काफ़ी हंगामा मच चुका था.

अपने पैसे निकालने के लिए बैंकों के एटीएम के आगे लोग लंबी लंबी लाइनें लगी हुई थीं.

लाखों परिवारों के पास नक़दी ख़त्म हो गई थी. शादियां रद्द कर दी गईं, छोटे दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और आर्थिक गतिविधि बाधित हो गई थी.

नक़दी का संकट खड़ा हो गया था. स्टैंड अप कॉमेडियन इन हालातों पर नई नई पैरोडी बना रहे थे.

इस बात से किसी को हैरान नहीं होना चाहिए था, क्योंकि भारत में 95 प्रतिशत ग्राहक लेन देन नक़दी में ही होते हैं.

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