नयी दिल्ली : विधि आयोग की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के पांच शीर्ष न्यायाधिकरणों में करीब साढ़े तीन लाख मामले लंबित हैं जिनमें से अकेले आयकर अपीली न्यायाधिकरण में 91,000 मामले लंबित हैं। पैनल ने विधि मंत्रालय को शुक्रवार को सौंपी अपनी रिपोर्ट ‘असेसमेंट ऑफ स्टैटुटरी फ्रेमवर्क ऑफ ट्रिब्यूनल्स इन इंडिया’ में कहा, ‘‘न्यायाधिकरणों में मामलों के निबटारे की दर प्रति वर्ष दर्ज होने वाले मामलों की तुलना में …94 प्रतिशत.. है, फिर भी लंबित मामले अधिक हैं।’’
इसमें कहा गया कि न्यायाधिकरणों की अवधारणा ही इस लिए बनाई गई थी कि नियमित अदालतों में न्याय प्रशासन में देरी और बैकलॉग की समस्या से निबटा जा सके।रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कुछ न्यायाधिकरणों के कामकाज के संबंध में आधिकारिक रूप से उपलब्ध आंकड़े संतोषजनक तस्वीर पेश नहीं करते हैं।’’ जुलाई 2017 तक केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में 44,333 लंबित मामले थे। वहीं 30 सितंबर 2016 तक रेलवे दावा न्यायाधिकरण में 45,604 लंबित मामले थे। इसी प्रकार से तीन जुलाई 2016 तक रिण वसूली न्यायाधिकरण में 78,118 मामले लंबित थे वहीं 2016 के अंत तक सीमाशुल्क, आबकारी और सेवा कर अपील न्यायाधिकरण में 90,592 लंबित मामले थे। इस प्रकार से पांचों न्यायाधिकरणों में कुल 3,50,185 मामले लंबित हैं।
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