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दिल्ली विकास प्राधिकरण ने तोड़ा संत रविदास मंदिर, पंजाब तक सियासत गर्म, आप प्रवक्ता ने इस मामले को लेकरभजप्पा पर साधा निशाना

दिल्ली: दिल्ली के तुग़लकाबाद में शनिवार को दिल्ली दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए ने संत रविदास मंदिर ढहा दिया, जिसको लेकर दिल्ली से लेकर पंजाब तक अब राजनीति गर्मा गई है. दिल्ली से पधारे आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने इस मामले को लेकर केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ”डीडीए दुनिया भर में जमीन बांट रहा है अपने नेताओं को जमीन दे रहा है, लेकिन डीडीए को संत रविदास जी के लिए 100 गज जमीन देनी भी मुश्किल हो रही है. आज सारे बीजेपी के नेता चुप बैठे हैं. वह ऐसे चुप बैठे हैं जैसे डीडीए उनके पास है ही नहीं. तो आज हम बीजेपी और केंद्र सरकार से सवाल करना चाहते हैं कि क्या 100 गज जमीन भी उनके पास संत रविदास जी के लिए नहीं है?” बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है और साथ ही कहा कि हम पार्टी के खर्चे पर दोबारा मंदिर बनाने और कानूनी मदद देने को तैयार हैं.

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने इस मामले पर दिल्ली के उपराज्यपाल और डीडीए के अध्यक्ष अनिल बैजल से मुलाकात की. बैठक के बाद सुखबीर बादल ने कहा कि ”हमने उपराज्यपाल जी से निवेदन किया है कि यह बहुत संवेदनशील मामला है बहुत पुराना मंदिर है और इससे बहुत सारी भावनाएं जुड़ी हैं. इसलिए तुरंत इसका कोई हल निकाला जाए. मुझे खुशी है कि एलजी साहब इस मामले का हल निकालने के लिए सकारात्मक हैं और मंगलवार को उन्होंने केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी के साथ मीटिंग बुलाई है.”गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने जंगल की जमीन पर निर्माण किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी जगह को खाली नहीं किया गया. इसलिए 9 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को आदेश दिया कि वो पुलिस की मदद से इस जगह को खाली कराए और ढांचे को हटाये. दिल्ली पुलिस और दिल्ली के मुख्य सचिव सुनिश्चित करें कि ढांचा हटाया गया है.

इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी दिल्ली सरकार से एसडीएम, डीडीए के वरिष्ठ अधिकारी और गुरु रविदास जयंती समारोह समिति के सदस्य 10 अगस्त सुबह 10 बजे जहांपनाह फॉरेस्ट्स में मौजूद थे. वहां मौजूद सेमी-परमानेंट ढांचे को शांति पूर्वक हटाया गया. बताया जाता है कि ये मंदिर संत रविदास की याद में बनवाया गया था. जब संत रविदास बनारस से पंजाब की ओर जा रहे थे, तब उन्होंने 1509 में इस स्थान पर आराम किया था. एक जाति विशेष के नाम पर यहां पर एक बावड़ी भी बनवाई गई थी जो आज भी मौजूद है. कहा जाता है कि स्वयं सिकंदर लोदी ने संत रविदास से नामदान लेने के बाद उन्हें यहां जमीन दान की थी जिस पर यह मंदिर बना था. आजाद भारत में 1954 में इस जगह पर एक मंदिर का निर्माण हुआ था. एक जाति विशेष के लोग इस मंदिर को बहुत मानते थे. यही कारण है कि मंदिर के टूटने के बाद से उनका समाज नाराज़ है. मंदिर से सिखों की आस्था भी जुड़ी हुई थी क्योंकि सिखों का मानना है कि संत रविदास की उच्चारण की हुई वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद है.

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