बिहार में लालू प्रसाद और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के मामले और बीजेपी के इस्तीफे की मांग के बाद राजद ने तो स्पष्ट कर दिया है कि तेजस्वी इस्तीफा नहीं देंगे. इन सब सियासी गहमागहमी के बीच जदयू की मंगलवार को अहम बैठक होने जा रही है. यह बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि लालू प्रसाद के ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी के बाद से अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है. जदयू ने भी लालू के समर्थन में कोई बात नहीं कही है. महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस ने जरूर राजद का समर्थन किया है और एकजुटता की अपील की है.
इन सबके बीच बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा सवाल इस वक्त यही है कि तेजस्वी यादव का सियासी भविष्य क्या होगा? इसकी वजह यह है कि इससे पहले पांच मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने के बाद नीतीश कुमार ने उनसे इस्तीफा ले लिया था. दरअसल नीतीश कुमार की छवि ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है. वह इस मोर्चे पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं कर सकते. संभवतया इसीलिए उन्होंने राजद की बैठक का इंतजार किया और अभी तक पत्ते नहीं खोले. अब मंगलवार को जदयू बैठक के बाद तस्वीर साफ होगी कि क्या मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस्तीफा देने को कहेंगे या राजद के समर्थन की घोषणा करेंगे. लेकिन यदि उन्होंने ऐसा कोई कदम उठाया तो बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में भूचाल आना तय है.
संभवतया इसी रस्साकशी के बीच विपक्षी पार्टी भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नीतीश कुमार को समर्थन देने के लिए तैयार है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने मीडिया में बयान दिया है कि अगर नीतीश कुमार राजद से अपना नाता तोड़ लेते हैं तो बीजेपी उन्हें बाहर से समर्थन देगी. हालांकि उन्हें बाद में जोड़ दिया कि अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व का होगा. हालांकि, इसकी संभावना बहुत ही कम है कि बिहार में सत्ता में बदलाव के समीकरण देखने को मिले लेकिन संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.