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डोकलाम तो बहाना है, क्या इन 6 वजहों से घबरा रहा है चीन

नई दिल्ली: डोकलाम के मुद्दे पर भारत और चीन की सेना करीब 55 साल फिर लगभग आमने-सामने हैं. भारत जहां जापान और अमेरिका के साथ मिलकर मालाबार में युद्भभ्यास कर रहा है तो चीन ने तिब्बत में. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चीन तिब्बत में अपना साजो-सामान भेज रहा है. लेकिन क्या सिर्फ डोकलाम के मुद्दे पर ही चीन आक्रामक है कि युद्ध करने तक की धमकी देने पर उतारू हो गया. इतना ही नहीं भारत को 1962 में हुई हार को भी याद करने की नसीहत दे डाली.

हालांकि रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे वित्तमंत्री अरूण जेटली चीन को जवाब दे चुके हैं कि यह 1962 का भारत नहीं है. उधर चीन ने भी जवाब देने में देर नहीं लगाई कि अब चीन भी 1962 वाला नहीं रहा है. कुल मिलाकर सच्चाई यही है कि युद्ध से किसी किसी भी देश को फायदा नहीं होने वाला है. फिर यह यभी आंकलन जरूरी है कि क्या चीन की इस बौखलाहट के पीछे कहीं घबराहट तो नहीं है…कहीं भारत की वजह से चीन का वह सपना तो नहीं टूटने जा रहा है जिसमें उसका कहना है कि ‘पहाड़ में एक ही शेर रहेगा’.  आखिर क्या हो सकती है वजहें ?

1- 2013 में शी जिनपिंग ने सत्ता संभाली थी उसके बाद से वह आक्रमक तरीके से चीन को महाशक्ति बनाने के लिए जुट गए. चीन ने कई देशों से व्यापारिक संबंध बनाए. इसके साथ ही अमेरिका को सीधे चुनौती देने के प्लान पर वह शुरू से ही काम कर रहा था. लेकिन उसके पड़ोसी देश भारत की अर्थव्यवस्था ने भी रफ्तार पकड़ी जो चीन के व्यापार के सामने बड़ी चुनौती बन गया.

2- आंकलन है कि अगले कुछ सालों में भारत की अर्थव्यवस्था दो अंकों में आ जाएगी. उधर चीन की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट का दौर शुरू हो चुका है. विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था चीन के बराबर खड़ी हो जाएगी.

3-  वैश्विक स्तर पर दुनिया भर के निवेशक इस समय भारत के बाजार की ओर रुख कर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट के संकते हैं.

4- भारत में हाल ही में चीन को कई मंचों पर कड़ा रुख दिखाया है. फिर चाहे पाकिस्तान तक बनने वाला इकोनॉमिक कॉरीडोर हो या फिर उसकी ओबीआर ( वन बेल्ट, वन रोड) का मुद्दा रहा है.

5- भारत ने चीन की इन योजनाओं से जुड़ने के बजाए एशियाई-अफ्रीकी गलियारे पर काम शुरू करने का निर्णय कर लिया.

6- अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत धीरे-धीरे चीन के लिए बड़ी चुनौती बन रहा है. एक साथ 100 से ज्यादा उपग्रह छोड़ने की कामयाबी के बाद चीन के अखबार ने उसी समय भारत से सचेत रहने की नसीहत दे डाली थी.

कुल मिलाकर कहने का मतलब यही है कि भारत सैन्य-साजो सामान में अभी भले ही चीन से पीछे हो लेकिन सच्चाई यही है कि भारत के पास भी दुनिया की तीसरी बड़ी सेना है और वह किसी भी हालात का सामना करने में सक्षम है. उसकी ताकत धीरे-धीरे बढ़ रही है. चीन के लिए यही बड़ी दिक्कत है.

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