नई दिल्ली: आई टी शिक्षा के क्षेत्र में भारी निवेश की जरूरत को रेखांकित करने के साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार (19 जुलाई) को लोकसभा में इस बात को लेकर गहरा अफसोस जाहिर किया कि अमेरिका की सिलिकॉन वैली में भारतीय आईटी प्रतिभाएं ही कार्यरत हैं, लेकिन देश खुद अपने लिए कोई गूगल, फेसबुक, ट्वीटर, यहां तक कि कोई विंडोज तक तैयार नहीं कर पाया.
जावड़ेकर ने ‘भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (पब्लिक -प्राइवेट भागीदारी) विधेयक 2017 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही. उन्होंने बताया कि टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज और नैसकॉम ने एक अनुमान जताया है कि आने वाले समय में इस सेक्टर में रोजगार के 70 लाख नए अवसर पैदा होंगे.
उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और जो पहले एक हजार साल में नहीं हुआ अब वह एक सदी में हो गया और जो एक सदी में नहीं हुआ, वह अब हो रहा है. नैनो टेक्नोलोजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हमें अपने छात्रों को बेहतर अवसर मुहैया कराने हैं. उन्होंने साथ ही कहा कि देश आईटी में हार्डवेयर की क्रांति चूक गया, लेकिन अब एक भी क्रांति से चूकना नहीं है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.
आईआईआईटी में फीस में वृद्धि की सदस्यों की आशंकाओं के संबंध में उन्होंने कहा कि जो छात्र वहन कर सकते हैं, यह वृद्धि उनके लिए होगी जबकि गरीब छात्रों के लिए सरकार ने छात्रवृत्ति का इंतजाम किया है. उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का जिक्र करते हुए कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले दस साल से एससी एसटी और दिव्यांग की भर्ती नहीं हुई थी और अब सरकार इस संस्थान में 300 पदों पर भर्तियां करने जा रही है. उन्होंने साथ ही कहा कि शिक्षा दलगत राजनीति नहीं बल्कि राष्ट्र नीति का विषय है और इसके लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में आईआईआईटी को लेकर कांग्रेस सदस्यों द्वारा जतायी गयी आशंका के जवाब में जावड़ेकर ने कहा कि संस्थान की स्थापना के बाद 2014 तक वहां के लिए किसी फैकल्टी की नियुक्ति नहीं हुई और इलाहाबाद से एक फैकल्टी हर रोज जाकर वहां कक्षाएं लेती थी. छात्रों ने वहां आंदोलन किया, लेकिन राजग सरकार ने किसी बदले की भावना से काम नहीं किया और उसे बंद करने के बजाय वहां कॉलेज शुरू करवाया.
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