नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि कश्मीर के लोग ऐसे नेताओं से परेशान हो चुके हैं जो ‘मात्र 10 फीसदी वोट’ पाकर लोकसभा या राज्य विधानसभा में पहुंच जाते हैं और राजनीति में गिने चुने परिवारों या व्यक्तियों के वर्चस्व को कायम रखना उनका निहित स्वार्थ बन जाता है. कश्मीरी नेताओं पर तंज कसते हुए सिंह ने कहा कि कश्मीर के राजनेता अब भी इस अतीत से चिपके हुए हैं और वे यह नहीं समझते है कि आम मतदाता उससे बहुत आगे बढ़ चुका है और उनमें 70 फीसदी युवा हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ कश्मीर के लोग ऐसे नेताओं से तंग आ चुके हैं जो मात्र 10 फीसदी वोटों से जीतकर लोकसभा या राज्य विधानसभा पहुंच जाते हैं और राजनीति में गिने चुने परिवारों या व्यक्तियों के वर्चस्व को कायम रखना उनका निहित स्वार्थ हो जाता है.”
कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि अगर चुनाव स्वतंत्र माहौल में हों और अच्छा मतदान हो तो लोग उन नेताओं को खारिज कर देंगे जो पिछले कई दशकों से कम मतदान की वजह से जीतते आ रहे हैं. आरटीआई संशोधन विधेयक के जरिए सूचना का अधिकार अधिनियम को ‘कमज़ोर’ करने के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि विधेयक का मकसद सूचना आयोग के कामकाज को दुरुस्त करना तथा संस्थागत करना है. गौरतलब है कि विपक्ष के कड़े विरोध तथा कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के वाक आउट के बीच सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक2019 पेश किया.
विधेयक को नौ के मुकाबले 224 मतों से पेश करने की अनुमति दी गयी विधेयक में यह उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन , भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे. मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सूचना का अधिकार अधिनियम ,2005 में संशोधन करने वालेइस विधेयक को पेश किया. उन्हों ने कहा कि पारदर्शिता के सवाल पर मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है.
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