
अशाेेेक यादव, लखनऊ। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए कल तक जिस दवा को संजीवनी बूटी माना जा रहा था, उससे भी अब उम्मीद खत्म हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की है कि अब कोरोना वायरस से बचाव के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का ट्रायल नहीं होगा।
बता दें कि दुनिया के कई देशों में मलेरिया की इस दवा के ट्रायल कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए चल रहा था। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को सबसे कारगर माना था।
WHO ने 17 देशों के 3,500 कोरोना मरीजों को HCQ दवा के ट्रायल के लिए शामिल किया था। विश्व संस्था ने इसे Solidarity Trial का नाम दिया था। इस ट्रायल का मकसद कोविड-19 के इलाज के लिए दवाई ढूंढना था।
ट्रायल में शामिल मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या कोविड-19 के इलाज के लिए प्रयोग किए जा रहे तीन और अन्य दवाओं का रैंडमाइज्ड ट्रायल शुरू किया जाता था। लेकिन केवल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर ही रोक लगाई गई है।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले दिनों मलेरिया और अन्य बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल किए जाने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन या क्लोरोक्विन को कोविड-19 संक्रमण के इलाज में प्रयोग में लाने को लेकर चेताया है।
उन्होंने कहा, “इन दवाओं को क्लिनिकल ट्रायल (नैदानिक परीक्षणों) में उपयोग के लिए रिजर्व किए जाने की आवश्यकता है।”
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