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सेना की जांच में तस्करी के दोषी हैं कर्नल

साल 2008 में हुए मालेगांव धमाके के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को बीते सोमवार को सप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जमानत मिल गई। जमानत मिलने के दो दिन बाद पुरोहित सेना के संरक्षण नवी मुंबई की तलोजा जेल से बाहर निकले। पुरोहित सेना की वर्दी दोबारा पहनने के लिए पूरी तैयार तरह थे लेकिन डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ मिलिट्री इंटेलीजेंस (डीजीएमआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार कर्नल पुरोहित सेना के अनुशासन का पालन ना करने के दोषी साबित हुए हैं। रिपोर्ट 27 जुलाई 2011 की है। जिसकी जांच पुरोहित का नाम मालेगांव में धमाके में आने के बाद शुरू की गई। रिपोर्ट में उनके कट्टरवादी हिंदू संगठनों और मालेगांव धमाके से कनेक्शन का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में हथियारों की तस्करी और गैर कानूनी से रूप से हथियारों को बेचने का भी जिक्र किया गया है। सामने आई रिपोर्ट के शुरुआती हिस्से में कहा गया है, ‘पैसों के फायदे के लिए पुरोहित सेना के हथियार खरीदने और निपटान में शामिल थे। उन्होंने पुणे के हथियार डीलर से हथियारों की डील की थी। लेकिन बाद में राकेश धावडे (मालेगांव धमाके में आरोपी) से बातचीत शुरू की।’

 

डीजीएमआई की रिपोर्ट के अनुसार धावडे की गैरकानूनी हथियारों और विस्फोटकों तक पहुंच है। रिपोर्ट के अनुसार पद के कारण लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित की हथियारों तक आसानी से पहुंच थी। रिपोर्ट के अनुसार धावडे ने सात 9 एमएम की पिस्तौल पुरोहित से ली थीं, जोकि देवाली स्थित आर्मी आर्मी यूनिट से ली गईं थीं। इनकी तस्करी की गई थी। रिपोर्ट कहती हैं कि जांच के दौरान पुरोहित ने इस बात को स्वीकार भी किया है। पुरोहित ने धावडे को एक 9 एमएम की पिस्तौल पचास हजार में रुपए में दी थी। ये पिस्तौल एक आरएसएस लीडर आलोक की हत्या के लिए दी गई।

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