
अशाेेेक यादव, लखनऊ। जंगल का राजा शेर जब दहाड़ता है तो बड़े-बड़े सूरमा का पसीना छूट जाता है। लेकिन शेरों को अक्सर झुंड में देखा जाता है।
पता नहीं कितनीं फिल्मों में हीरो को शेर की तरह दिखाया जाता है और दर्शक-दीर्धा में बैठा दर्शक अपने हीरो में शेर की झलक देखते ही ताली पीटता है।
लेकिन परदे पर दिखने वाला यह हीरो जो शेर अवतार लिया रहता है वो अकेले ही विलेन की झुंड से लड़ता है और फतह हासिल करता है। लेकिन जंगल में इसके ठीक उलट होता है।
जंगलों में शेरों को झुंड में ही प्रायः देखा जाता है। जिससे यह सवाल उठता है कि क्या जंगल के राजा को भी कभी डर लगता है जो झुंड में चलना मुनासिब समझता है?
इस तथ्य की खोज वैज्ञानिकों ने भी बहुत बारिकी से किया है। जिसमें एक रिसर्च के अनुसार ज्यादातर मादा शेर ही एक साथ झुंड में रहती है। साथ ही अपनी एकजुटता और क्षेत्र पर कब्जा दिखाने की मानसिकता से भी यह शेर झुंड में रहना पसंद करता है।
हालांकि मानवों का भी यह स्वभाव होता है कि समूहों में अपना जिंदगी बसर करता है। लेकिन इससे शेर भी अलग नहीं है। दुनिया भर के म्यूजियम में रखे गए जीवाश्म के अध्ययन के बाद यह भी खुलासा हुआ है कि शेरो ंका इतिहास 1,24,000 साल पुराना है।
बता दें कि शेर भी बिल्ली प्रजाति का ही एक जानवर है। लेकिन शेर की दहाड़ काफी लंबी दूरी तक और खतरनाक मानी जाती है। अक्सर अपने दुश्मनों का हौसला कम करने के लिये भी शेर दहाड़ता है।
वहीं शेर की पहचान उसके लंबे बाल से भी की जाती है।माना जाता है कि नर शेर शेरनियों को रिझाने के लिये ही यह लंबा बाल रखता है। हालांकि लंबे बाल से लड़ाई होने पर घायल होने से भी बचाता है।
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