
अशाेक यादव, लखनऊ। केंद्र सरकार ने कोरोना टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने के लिए सरकारी एवं निजी कार्यालयों में भी टीकाकरण केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है। इसके तहत यदि किसी सरकारी या निजी दफ्तर में 100 से ज्यादा लोग 45 साल से अधिक उम्र के हैं तो वहां केंद्र बनाकर टीकाकरण किया जा सकता है। नजदीकी सरकारी या निजी अस्पताल की टीम इस कार्य को अंजाम देगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों एवं प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) को भेजे पत्र में कहा है कि राज्य टीकाकरण को बढ़ाने के लिए 11 अप्रैल से सरकारी एवं निजी कार्यालयों में केंद्र स्थापित शुरू कर सकते हैं।
पत्र के साथ इसके लिए एक विस्तृत नियमावली भी भेजी गई है। इनमें कहा गया है कि किसी सरकारी एवं निजी कार्यालय में तभी कोरोना वैक्सीन केंद्र बनाया जा सकता है जब वहां कम से कम 100 कार्मिक टीका लगाने के योग्य हों। यानी वह 45 साल से अधिक उम्र के हों और वहां कार्यरत हों।
आमतौर पर 45-59 आयु वर्ग के लोगों को इसमें टीका लगेगा लेकिन कई सेवाओं में 65 साल तक के लोग भी कार्यरत होते हैं, इसलिए जो कर्मचारी वहां है, उसे टीका लगाया जा सकेगा। कर्मचारियों के परिजनों या बाहर के किसी व्यक्ति को ऐसे केंद्रों पर टीका लगाने की अनुमति नहीं होगी। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जिलाधिकारी या शहरी निकायों के प्रमुख की अध्यक्षता में बनी टास्क फोर्स ऐसे केंद्रों को मंजूरी प्रदान करेगी।
संबंधित कार्यालय को भी एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी जो पंजीकरण एवं अन्य जरूरी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। किसी केंद्र को तभी मंजूरी दी जाएगी जब उस आफिस के 50 लोग पहले ही कोविन पर पंजीकरण करा चुके हों। केंद्र स्थापित करने की तैयारी 15 दिन पहले करनी होगी।
सरकारी या निजी दफ्तरों में चलने वाले इन केंद्रों को नजदीकी अस्पताल के टीकाकरण केंद्र से संबद्ध कराया जाएगा तथा वहीं से टीकाकर्मियों की टीम भी आएगी। बाकी सेवाएं भी इसी नजदीकी अस्पताल से प्रदान की जाएंगी। शा-निर्देशों में कहा गया है कि टीकाकरण के बाकी सभी नियम वही रहेंगे जो अभी अन्य केंद्रों पर लागू हैं। भूषण ने कहा कि इससे कर्मचारी अनावश्यक यात्रा से बचेंगे। साथ ही टीके की बर्बादी को भी रोका जा सकेगा।
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