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ट्रोल करने बालों को पता होना चाहिए कि ऐसा ही व्यवहार उनके साथ भी हो सकता है : जावेद अख्तर

सूर्योदय भारत समाचार सेवा : पटकथा लेखक-कवि जावेद अख्तर का कहना है कि ट्रोल करने वाले लोगों को पता होना चाहिए कि उनके साथ भी ऐसा ही व्यवहार हो सकता है।

चाहे वह हाल में हुए ‘रोजा’ विवाद के दौरान भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी का समर्थन करना हो, विराट कोहली की प्रशंसा करने पर उन पर निशाना साधने वाले लोगों को जवाब देना हो या पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करना हो, अख्तर ‘एक्स’ पर अपनी राय खुलकर व्यक्त करने के लिए जाने जाते हैं।

गीतकार अख्तर ‘इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी’ (आईपीआरएस) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने मंगलवार को यहां फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कॉपीराइट निकाय को सरकारी समर्थन की आवश्यकता है ताकि कलाकारों को सार्वजनिक प्रदर्शन रॉयल्टी का उचित हिस्सा मिल सके।

जाने-माने पटकथा लेखक सलीम खान के साथ मिलकर लिखी गई उनकी दो फिल्में ‘‘शोले’’ और ‘‘दीवार’’ के 50 साल पूरे हो रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि इन फिल्मों की स्थायी प्रासंगिकता का क्या कारण है।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ अच्छे काम होते हैं जो रह जाते हैं लोगों के स्मृति पटल पर। और जिन फिल्मों की आप बात कर रहे हैं, वे किसी न किसी तरह (लोगों की स्मृति में बनी हुई हैं)… ऐसा क्यों है, मुझे नहीं पता। अगर मुझे पता होता तो मैं ऐसा बार-बार करता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘50 साल पुरानी फिल्म के संवादों का जिक्र स्टैंड-अप कॉमेडी, अन्य फिल्मों और यहां तक ​​कि राजनीतिक भाषणों में आज भी किया जाता है। यह कैसे और क्यों हुआ? मेरा मतलब है, इसका करिश्मा क्या है? करिश्मे की कोई परिनहीं है। ऐसा होता है और फिर आप इसका कारण जानने की कोशिश करते हैं, इसमें कोई तर्क ढूंढते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यह इससे परे है।

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