Breaking News

डबल इंजन की उप्र सरकार के लिये आरके विश्वकर्मा कार्यवाहक नहीं, कारगर डीजीपी हैं !

मनोज श्रीवास्तव, लखनऊ : राजकुमार विश्वकर्मा यूपी के कार्यवाहक डीजीपी बने ! उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण फैसलों में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हो या केंद्र सरकार सब फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं। राजकुमार विश्वकर्मा सुलझे हुये विनम्र अधिकारी हैं। पिछड़ी जातियों में अति पिछड़ा विश्वकर्मा समाज से उनका नाता है।कठिन परिश्रमी यह समाज देश के हर अंचल में भिन्न-भिन्न नाम से पहचाना जाता है। विश्वकर्मा समाज के प्रमुख समाज सेवी व “विश्वकर्मा किरण” के संपादक कमलेश प्रताप विश्वकर्मा ने बताया कि शर्मा, धीमान, विश्वकर्मा, पांचाल, पंचभइया, जांगड़ा, जागगीड़, सुथार, खाती, पंचोली, जाधव, मिस्त्री, ताम्रकार, ठठेरा, कसेरा, सुनार, शिल्पकार, आचार्य, चारी आदि प्रमुख जातियां हैं। देश में इस समाज के बहुत सारे लोग क्षेत्रीय आधार पर टाइटिल लगाते हैं। जिनकी संख्या करीब 300 है। हाल ही में आये पिछले बजट में केंद्र सरकार ने “प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना” लागू करने की घोषणा की है।जिसके तहत 11 मार्च को एक बेबीनार का कार्यक्रम हुआ था। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं किया था। यह बेबीनार मंथन के लिये था। प्रधानमंत्री मोदी देश की अर्थ व्यवस्था को स्थायी मजबूती देने की नीयत से पराम्परागत कारीगरों के लिये यह आयोजन आयोजित करवाए थे। भारत में इस समाज के बहुत लोग दक्षिण भारत के मंदिरों में पुजारी भी हैं। भाजपा को अति पिछड़ा की राजनीति पूरी तरह भाता है।डबल इंजन की सरकार ने आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की तैनाती देकर उत्तर प्रदेश में नगर-निकाय के चुनाव में खामोशी से बड़ा संदेश दे दिया। कमलेश प्रताप के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिना हस्तक्षेप के यह सम्भव नहीं था। वैसे भी वाराणसी क्षेत्र के लोग चार चर्चा करते रहते हैं कि प्रधानमंत्री अपना चुनाव जीतने के लिये वह सब करते हैं जो एक बड़ा नेता चुनाव के समय बिना क्षेत्र में प्रचार किये जीत का मार्ग प्रशस्त करता है। मोदी की लोकसभा सीट को पिछले चुनाव तक एक तरफ से अलग-अलग विभिन्न जातियों के लोकसभा प्रत्याशी जातीय कबरअप देते हैं। जिसमें वीरेंद्र सिंह “मस्त” (बलिया), अनुप्रिया पटेल (मिर्जापुर), डॉ महेंद्र नाथ पांडेय (चंदौली). मनोज सिन्हा (गाजीपुर), केपी सिंह (जौनपुर) से और रमेश विन्द(भदोही) से लड़ कर मोदी का जातीय और भौगोलिक राजनैतिक समीकरण सधाते हैं। आरके विश्वकर्मा जौनपुर के हैं। वह अति पिछड़ो के अलावा अन्य समाज में पैठ रखते हैं। उनकी सामाजिक जड़े बहुत गहरी हैं।जौनपुर जिला वाराणसी से एकदम मिला हुआ जिला है। इसके पहले डीएस चौहान के कार्यवाहक डीजीपी होते सपा मुखिया अखिलेश यादव लगातार हमला करते थे। लेकिन राजकुमार विश्वकर्मा पर वह उतनी ताकत से हमला नहीं कर पायेंगे। क्यों अति पिछड़े समाज से आने वाले राजकुमार विश्वकर्मा सरल, मिलनसार और अच्छे प्रसासनिक अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। यदि सपा खेमे से उन पर कोई राजनैतिक हमला हुआ तो भाजपा अखिलेश को अति पिछड़ों का हक मारने और अति पिछड़ों की तरक्की का दुश्मन सिद्ध कर देगी।
भाजपा को इस नियुक्ति का तात्कालिक फायदा नगर निकाय के चुनाव में मिलेगा। भारत की सामाजिक संरचना में गांव से लेकर बड़े-बड़े औद्योगिक कारखानों तक हर मोड़ पर मिलने वाले इस जाति के लोग राजनीति के पटल पर सामाजिक जंक्शन की भूमिका अदा करते हैं। इनकी नियुक्ति ने विरोधियों को चित कर दिया है। वरिष्ठता में दूसरे क्रमांक के आईपीएस विश्वकर्मा दो महीने बाद सेवानिवृत्त हो जायेंगे। नगर निकाय के चुनाव में यदि भाजपा फसल काटने में सफल रही तो लोकसभा चुनाव तक इन्हें सेवा विस्तार भी मिल सकता है। यह संयोग है कि भाजपा के डबल इंजन की सरकार में लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक मिला है। शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय पंहुच कर 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी आरके विश्वकर्मा ने कार्यभार संभाला। हालांकि दो महीने बाद आरके विश्वकर्मा का भी रिटायरमेंट है। इससे पहले 13 मई 2022 को 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी डीएस चौहान को पुलिस महानिदेशक के पद पर स्थाई नियुक्ति नहीं मिलने तक प्रदेश के डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। इस दौरान वह पुलिस महानिदेशक (अभिसूचना) का दायित्व भी संभाल रहे थे। आर के विश्वकर्मा फिलहाल पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष हैं। वह यूपी के जौनपुर के रहने वाले हैं। आईपीएस मुकुल गोयल के बाद वह दूसरे सबसे सीनियर आइपीएस हैं। उनका रिटायरमेंट मई 2023 में होना है। डीजी भर्ती बोर्ड, आर के विश्वकर्मा को यह प्रभार डीजीपी डॉ डीएस चौहान के द्वारा हैंडओवर किया गया है। इस दौरान दो माह तक उनके पास यह प्रभार रहेगा। उसके बाद डीजीपी के लिए प्रपोजल भेजा जाएगा।
यूपी की पुलिस व्यवस्था बीते 11 महीने से यूपी की कानून व्यवस्था कार्यवाहक डीजी के सहारे चल रही है। इस पद पर तैनात डीएस चौहान के पास डीजी इंटेलिजेंस और डीजी विजिलेंस की भी जिम्मेदारी थी। प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहला मौका है, जब 11 महीने तक राज्य की कानून व्यवस्था किसी कार्यवाहक डीजी के भरोसे रही है।जिस पर सपा मुखिया अखिलेश यादव लगातार हमलावर रहे। इससे पहले 1988 बैच के ही चार अफसर डीजीपी पद की रेस में चल रहे थे। इनमें विजय कुमार की सेवानिवृत्ति जनवरी 2024 में है। वहीं डीजी की रेस में एक नाम आनंद कुमार का भी है, वह अप्रैल 2024 में रिटायर होंगे। इसी बैच के अनिल कुमार अग्रवाल जो कि फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, वह अप्रैल और डॉ राजकुमार विश्वकर्मा मई 2023 में रिटायर होने वाले हैं।
आरके विश्वकर्मा सपा सरकार में आईजी कानून व्यवस्था के पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी बनाने के साथ राज्य सरकार ने डीजी रैंक के पांच अफसरों को इधर से उधर कर दिया। एडीजी प्रशांत कुमार को स्पेशल डीजी के पद पर प्रोन्नत होने के बाद कानून व्यवस्था और अपराध का स्पेशल डीजी बनाया गया है। साथ ही, ईओडब्ल्यू का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। डीजी सीबीसीआईडी विजय कुमार को निदेशक सतर्कता का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। डीजी जेल आनंद कुमार को हटाकर कोआपरेटिव सेल भेजा गया है। डीजी पावर कार्पोरेशन एसएन साबत को डीजी जेल बनाया गया है। एडीजी क्राइम रहे एमके बशाल को स्पेशल डीजी पावर कार्पोरेशन बनाया गया है।

Loading...

Check Also

योगी और राजनाथ असली क्षत्रिय नहीं- ठाकुर नितांत सिंह

अनुपूरक न्यूज एजेंसी, लखनऊ। कांग्रेस के क्षत्रिय नेता ठाकुर नितांत सिंह ने राजपूत समाज द्वारा ...