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15 साल छोड़िए, यहां बिना नंबर दौड़ती हैं कंडम स्कूल बसें

संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में प्रशासन ने 15 साल की आयु तक वाली बसें ही स्कूल-कॉलेज में चलाए जाने का फरमान जारी किया है, जबकि हकीकत यह है कि कई स्कूलों में बिना नंबर और बिना पंजीकरण के ही बसें लगी हुई हैं। इनमें न हेडलाइट और न बैक लाइट, साथ ही इंडीकेटर भी गायब हैं। फिर भी स्कूलों से जुड़ी ये बसें बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं। ऐसी बसों को रोकना तो दूर, ये खटारा बसें किस मॉडल की है और किसकी इजाजत से चल रही हैं, इसका भी पता लगाने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। नवाबगंज से हाफिजगंज, रिठौरा के बीच चलने वाली इस बस की तस्वीर के साथ खटारा स्कूली बसों के बारे में अमर उजाला ने बुधवार को पड़ताल की तो बसों की बदहाल हकीकत सामने आई।
सिर्फ पीले रंग से पुतवा लिया, स्कूल का नाम भी नहीं लिखा
स्कूल-कॉलेजों में लगी ज्यादातर बसों पर स्कूल का नाम लिखा होता है, लेकिन नवाबगंज के एक स्कूल की बगैर नंबर की यह बस पीले रंग से पुतवा ली गई है और इस पर स्कूल का नाम नहीं लिखा गया है। यह बस हाफिजगंज कस्बे से दोपहर के समय निकली तो इसे देखकर हैरानी हुई कि यह चल कैसे रही है।

ज्यादातर दिल्ली नंबर की बसें चल रहीं बरेली के स्कूलों में
बुधवार दोपहर एक बजे कैंट क्षेत्र में देखा गया कि एक स्कूल के सामने दिल्ली और एमपी नंबर की तीन चार बसें खड़ी थीं। इनकी हालत बेहद खस्ताहाल थी। अंदर फर्श भी उधड़ा हुआ सा था और सीटें भी ठीक नहीं थीं। फिर भी यह बसें स्कूल से बच्चों को लाने-ले जाने के काम में लगी थीं। यहां मौजूद चालकों से बसों के मॉडल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा- साहब नौकरी का मसला है, हम चुप रहेंगे तो ही बेहतर है।

चौपुला चौराहे से गुजरी कई खटारा बसें
बुधवार दोपहर तीन बजे कई नामचीन स्कूल-कॉलेजों की खटारा बसें चौपुला चौराहे से गुजरीं। यहां आगे पीछे आईं तीन बसें जाम में फंस गई तो उनका हुलिया देख मौके पर मौजूद राहगीर कह रहे थे कि ऐसी बसों में बच्चों को भेजना खतरे से खाली नहीं हैं। फिर भी अभिभावक क्या करें, बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजना भी जरूरी है। इसके अलावा सिटी श्मशान घाट के सामने से दोपहर सवा बारह बजे गुजरी खटारा बस देख वहां से गुजरने वाले राहगीर भी किनारे हो गए।

बड़ुा बाईपास पर पलटी थी स्कूल बस
पीलीभीत से बच्चों को लेकर आने वाली स्कूल बस करीब तीन महीने पहले बड़ा बाईपास पर नवदिया के पास पलट गई थी। इसमें सवार कई बच्चे घायल हो गए थे, जिनका निजी अस्पताल में इलाज कराया गया था। यह बस हाफिजगंज थाने में अब भी खड़ी हुई है। इसकी फिटनेस पर सवाल उठे, लेकिन स्कूल वालों का कार्रवाई में जिक्र भी नहीं किया गया।

टेंपो पलटने से छात्र हुई थी छात्र की मौत
हाफिजगंज क्षेत्र में करीब दो साल पहले स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाला टेंपो सिथरा गांव के पास गड्ढे में पलट गया था। इसमें सवार जीएलबी मेमोरियल स्कूल रिठौरा में कक्षा दो में पढ़ने वाला प्रियांशु उछलकर नीचे गिरा था और टेंपो का पहिया उसके ऊपर से उतर गया था, जिससे छात्र की मौके पर ही मौत हो गई थी।

तो 25 प्रतिशत स्कूली वाहन हो जाएंगे आउट
जिले भर के स्कूलों में 721 वाहन आरटीओ ऑफिस में पंजीकृत हैं। इनमें 390 बसें, 57 टाटा मैजिक, 208 छोटी गाड़ियां स्कूलों की खुद की हैं, जबकि 66 अन्य वाहन कांट्रैक्ट पर पंजीकृत हैं। चूंकि वाहनों की आयु सीमा अब 15 साल निर्धारित कर दी गई है, ऐसे में माना जा है कि पंजीकृत करीब 25 प्रतिशत वाहनों की उम्र 15 साल या इससे ज्यादा निकलेगी। ऐसे वाहनों को रोड से हटाने के लिए आरटीओ दफ्तर के अधिकारी और कर्मचारी छानबीन में लग गए हैं।

इस साल पूरी हो जाएगी बिशप कोनरॉड की बस की मियाद
कैंट स्थित बिशप कोनरॉड में चलने वाली बस डीएल-1 पीबी-4576 का मॉडल 2002 है। अब स्कूली बसों की आयु 15 साल तक कर दी गई है, जिसके तहत इस बस की मियाद इस साल के अंत में पूरी हो जाएगी। वहीं राजश्री स्कूल की एमपी-09 एफए-0177 की बस का मॉडल 2004 है। बुधवार को दोपहर के समय गुजरीं सरस्वती शिशु मंदिर की बस नंबर यूपी-25-टी-9311, यूपी-25-टी-9312 वर्ष 2008 में रोड पर आईं हैं। इसके अलावा सेंट मारिया स्कूल की बस नंबर डीएल-1वीए-5991, डीएल-1पीसी-1168 का मॉडल 2007 और 2008 है।

हमारे यहां करीब 450 स्कूली वाहनों का पंजीकरण हैं। इनमें से करीब 25 वाहनों की स्थिति ठीक नहीं है। उनके बारे में जानकारी जुटाकर कार्रवाई की जा रही है। साथ ही 15 वर्ष तक की आयु वाली बसों का भी चिह्नीकरण किया जा रहा है। इसके बाद इन पर कार्रवाई की जाएगी। – आरआर सोनी, आरटीओ

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