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राष्‍ट्रपति कोविंद का राष्‍ट्र के नाम संबोधन

नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्‍वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्‍ट्र को संबोधित किया। बतौर राष्‍ट्रपति, अपने पहले संबोधन में राष्‍ट्रपति ने देश की आजादी में योगदान देने वाले महापुरुषों का नाम लेते हुए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देने वाले ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने और देश के लिए कुछ कर गुजरने की उसी भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में सतत जुटे रहने का समय है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “स्वतंत्रा नैतिकता पर आधारित नीतियों और योजनाओं को लागू करने पर उनका जोर, एकता और अनुशासन में उनका दृढ़ विश्वास, विरासत और विज्ञान के समन्वय में उनकी आस्था, विधि के अनुसार शासन और शिक्षा को प्रोत्साहन, इन सभी के मूल में नागरिकों और सरकार के बीच साझेदारी की अवधारणा थी।” उन्होंने आगे कहा, “यही साझेदारी हमारे राष्ट्र-निर्माण का आधार रही है – नागरिक और सरकार के बीच साझेदारी, व्यक्ति और समाज के बीच साझेदारी, परिवार और एक बड़े समुदाय के बीच साझेदारी।” राष्‍ट्रपति ने आजादी के आंदोलन के समय देश की एकता और अखण्‍डता की याद दिलाते हुए वर्तमान में वैसी ही भावना विकसित करने की बात कही। उन्‍होंने गांव, खेत-खलिहानों का जिक्र करते हुए कम होते सरोकारों पर चिंता जताई।

राष्‍ट्रपति ने नागरिकों से कानून का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि “सरकार कानून बना सकती है और कानून लागू करने की प्रक्रिया को मजबूत कर सकती है, लेकिन कानून का पालन करने वाला नागरिक बनना, कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण करना – हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। सरकार पारदर्शिता पर जोर दे रही है, सरकारी नियुक्तियों और सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार समाप्त कर रही है, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में अपने अंत:करण को साफ रखते हुए कार्य करना, कार्य संस्कृति को पवित्र बनाए रखना – हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।”

राष्‍ट्रपति ने कहा कि ‘2022 में हमारा देश आजादी के 75 साल पूरा करेगा, तब तक ‘न्‍यू इंडिया’ के लक्ष्‍यों को पूरा करना है। इसके बड़े स्‍पष्‍ट मापदंड हैं, हर परिवार के लिए घर, बेहतर सड़के, यातायात और निजी स्‍वतंत्रता। न्‍यू इंडिया एक ऐसा समाज होना चाहिए जहां पारंपरिक रूप से वंचित हुए लोग देश की समग्र प्रक्रिया में सहभागी हों। जो हर देशवासी को गले से लगाए।’ राष्‍ट्रपति ने तकनीक के इस्‍तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि ‘न्‍यू इंडिया’ में गरीबी के लिए कोई जगह नहीं है। उन्‍होंने कहा कि भारत विश्‍व समुदाय में अहम भूमिका निभा रहा है। भारत ने 2020 के ओलंपिक खेलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए अभी से तैयारी में जुटने की अपील की। उन्‍होंने इसके लिए सरकारों, व्‍यापारिक संस्‍थानों, खेल अधिकरणों से कदम उठाने को कहा।

कोविंद ने कहा, “सरकार ने कर प्रणाली को आसान करने के लिए जीएसटी लागू किया है, प्रक्रियाओं को आसान बनाया है, लेकिन इसे अपने हर काम-काज और लेन-देन में शामिल करना तथा कर देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना – हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।” उन्होंने कहा कि आजादी केवल सत्ता हस्तांतरण नहीं था, बल्कि वह एक बहुत बड़े और व्यापक बदलाव की घड़ी थी। वह हमारे समूचे देश के सपनों के साकार होने का पल था, ऐसे सपने जो हमारे पूर्वजों और स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे। स्वतंत्र भारत का उनका सपना, हमारे गांव, गरीब और देश के समग्र विकास का सपना था।

उन्होंने कहा, “नेहरूजी ने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं, जिन पर हमें आज भी गर्व है, उनका प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल संभव है, और वे परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण के प्रयासों में सहायक हो सकती हैं। सरदार पटेल ने हमें राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व के प्रति जागरूक किया, साथ ही उन्होंने यह भी समझाया कि अनुशासन-युक्त राष्ट्रीय चरित्र क्या होता है। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान के दायरे मे रहकर काम करने तथा ‘कानून के शासन’ की अनिवार्यता के विषय में समझाया। साथ ही, उन्होंने शिक्षा के बुनियादी महत्व पर भी जोर दिया।”

राष्‍ट्रपति ने राष्‍ट्र-निर्माण में किसानों और जवानों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि वे सिर्फ अपनी जिम्‍मेदारी नहीं निभा रहे, निस्‍वार्थ भाव से देश की सेवा कर रहे हैं। उन्‍होंने हर नागरिक से ऐसी भावना को आत्‍मसात करने की अपील की। राष्‍ट्रपति ने देशवासियों ने एक गरीब बच्‍चे की मदद करने की अपील की। उन्‍होंने कहा कि हर नागरिक अगर एक गरीब बच्‍चे का स्‍कूल में दाखिला करा दे, दूसरा उसे किताबें दिला दे तो समाज में बड़ा बदलाव आएगा।

राष्‍ट्रपति ने कहा, “ढाई हजार वर्ष पहले, गौतम बुद्ध ने कहा था, ‘अप्प दीपो भव.. यानि अपना दीपक स्वयं बनो। हम सब मिलकर आजादी की लड़ाई के दौरान उमड़े जोश और उमंग की भावना के साथ सवा सौ करोड़ दीपक बन सकते हैं। दीपक जब एक साथ जलेंगे तो सूर्य के प्रकाश के समान वह उजाला सुसंस्कृत और विकसित भारत के मार्ग को आलोकित करेगा।”

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