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राष्ट्रमंडल खेलों में खुद से प्रतिस्पर्धा और अपने विश्व रिकॉर्ड को बेहतर करने की कोशिश करूंगी : मीराबाई चानू

अशाेक यादव, लखनऊ। भारतीय स्टार भारोत्तोलक मीराबाई चानू राष्ट्रमंडल खेलों में प्रबल दावेदार के रूप में शुरूआत करेंगी और उनका कहना है कि इनमें उनकी प्रतिस्पर्धा किसी और से नहीं बल्कि खुद से होगी। चानू का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 207 किग्रा (88 किग्रा +119 किग्रा) का है जो नाइजीरिया की स्टेला किंग्सले से बेहतर है जो उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी हैं और वह अब तक 168 किग्रा (72 किग्रा + 96 किग्रा) का ही वजन उठा सकी हैं।

चानू ने पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद उन्होंने ओलंपिक में रजत पदक, एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य और एक विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। उनका कहना है कि बर्मिंघम में उनकी असली प्रतिस्पर्धा अपनी प्रतिद्वंद्वियों से नहीं बल्कि खुद से होगी।

राष्ट्रमंडल खेलों के 2014 चरण में रजत और 2018 चरण में स्वर्ण पदक जीतने वाली इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल खेल मेरे लिये आसान होंगे। मैं खुद से ही लडूंगी। ’’ उन्होंने एनआईएस पटियाला में बात करते हुए कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल खेलों में इतनी प्रतिस्पर्धा नहीं होगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसमें कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होगी।

भविष्य के टूर्नामेंट को देखते हुए मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। ’’ प्रतिस्पर्धा ज्यादा नहीं होगी तो चानू के दिमाग में बड़ा लक्ष्य तय है। वह 119 किग्रा के अपने ही क्लीन एवं जर्क विश्व रिकॉर्ड को सुधारना चाहेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रमंडल खेलों में 120 किग्रा का प्रयास करने का विचार कर रही हूं। ’’ यह पूर्व विश्व चैम्पियन स्नैच में 90 किग्रा में भी सुधार करना चाहती है और वह मानती हैं कि यह मानसिक रूप से थोड़ा चुनौतीपूर्ण होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हां, यह मानसिक चुनौती है। हमने राष्ट्रमंडल खेलों में 91 किग्रा या 92 किग्रा उठाने की योजना बनायी है। उम्मीद है कि ऐसा होगा। ’’ लेकिन अपने शरीर से दुगना वजन उठाना आसान नहीं है विशेषकर जब चानू कंधे के संतुलन को लेकर अब भी जूझती हैं। इस महीने के शुरू में वह अपने स्नैच वजन को सुधारने में असफल रही, वह अपनी पीठ के कारण घरेलू प्रतियोगिता में दो बार 89 किग्रा का वजन उठाने में असफल रहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी पीठ इससे दो तीन दिन पहले जकड़ गयी थी। नागरोटा की यात्रा भी पांच घंटे की थी। हम टूर्नामेंट से एक दिन पहले ही पटियाला से चंडीगढ़ गये थे, फिर चंडीगढ़ से उड़ान ली थी जो लेट थी। इसलिये पीठ और जकड़ गयी थी। ’’ स्नैच में अपनी कमजोरी से वाकिफ चानू ने अपनी तकनीक में थोड़े बदलाव पर काम किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं 88 किग्रा से ऊपर नहीं गयी हूं। मैंने इतना ही वजन तय किया है। लेकिन ट्रेनिंग के हिसाब से देखूं तो मैं ओलंपिक की तुलना में अब काफी बेहतर हूं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक प्रतियोगिता में 90 किग्रा का वजन उठाने के लिये हमने 80 से 90 किग्रा का वजन तय किया है जिसे हम प्रत्येक दिन निरंतर उठाते हैं। पर ऐसा नहीं है कि हम रोज 90 किग्रा उठाते हैं। ’’

 

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