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राम रहीम ने भागने के लिए रचा था चक्रव्यूह

नई दिल्ली: दो शिष्याओं के साथ 18 साल पहले दुष्कर्म करने और आपराधिक धमकी देने के अपराध में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सोमवार को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई और 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. डेरा प्रमुख को दुष्कर्म के दोनों मामलों में 10-10 साल जेल की सजा सुनाई गई है. रोहतक के सुनारिया जिला जेल के पुस्तकालय में ही लगाई गई सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद राम रहीम के वकील एसके गर्ग नरवाना ने कहा कि दोनों ही सजा बारी-बारी से भुगतनी होंगी. सजा कम कराने के लिए राम रहीम ने बीमारी का भी बहाना बनाया लेकिन वह काम न आया. मेडिकल टीम ने उसे फिट पाया.

 

इस पर हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि बलात्कार के जुर्म में 20 साल जेल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पुलिस पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत से रोहतक की जेल तक तभी ले जा सकी जब डेरा प्रमुख के सुरक्षाकर्मियों की ओर से उसे भगाने की कथित कोशिश नाकाम कर दी गई.

बहरहाल, अधिकारी ने दावा किया कि पुलिस उपायुक्त (अपराध) सुमित कुमार की अगुवाई में एक चौकस टीम ने गुरमीत के कमांडो जवानों की ओर से उसे भगाने की कोशिश नाकाम कर दी. गुड़गांव में पत्रकारों से बातचीत में पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के के राव ने कहा कि जैसे ही गुरमीत को दोषी करार दिया गया, वैसे ही उसने सिरसा से लाया गया एक ‘लाल बैग’ मांगा. राव ने कहा, डेरा प्रमुख ने यह कहते हुए बैग मांगा कि उसमें उसके कपड़े रखे हुए हैं. दरअसल, यह उसकी ओर से अपने लोगों को किया गया एक इशारा था कि वे उसके समर्थकों में उसे दोषी ठहराए जाने की खबर फैला दें, ताकि वे उपद्रव पैदा कर सकें. उन्होंने कहा कि जब गाड़ी से बैग बाहर निकाला गया तो करीब दो-किलोमीटर दूर से आंसू गैस के गोले दागे जाने की आवाजें सुनाई देने लगीं.

आईजीपी ने दावा किया, तभी हमें बात समझ आ गई कि इस इशारे के पीछे कोई मतलब है. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का संदेह उस वक्त और गहरा गया जब गुरमीत और उसकी गोद ली गई बेटी पंचकूला अदालत परिसर के गलियारे में काफी लंबे समय तक खड़े रहे, जबकि उन्हें वहां खड़ा नहीं होना था.

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