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यूपी कांग्रेस अध्यक्ष बने बृजलाल खाबरी, 6 प्रांतीय अध्यक्ष भी घोषित

अनुपूरक न्यूज एजेंसी, लखनऊ। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर बृजलाल खाबरी के नाम पर मुहर लगा दी है। बृजलाल खाबरी पूर्व सांसद रहे हैं। बसपा संस्थापक कांशीराम के साथ मिलकर उन्होंने सांगठनिक काम किया है। 

साथ ही साथ यूपी कांग्रेस ने छः प्रांतीय अध्यक्ष भी बनाए हैं। प्रांतीय अध्यक्षों में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी, पूर्व विधायक व मंत्री अजय राय, नकुल दुबे, फरेंदा विधायक विरेंद्र चौधरी, पिछली कमेटी में पदाधिकारी रहे अनिल यादव (इटावा) और प्रशासन प्रभारी योगेश दीक्षित को प्रांतीय अध्यक्ष बनाया गया है। 

यूपी कांग्रेस ने पूरे प्रदेश को छः हिस्सों में बाँट दिया है-पश्चिम,ब्रज, अवध, बुंदेलखंड, प्रयाग और पूर्वांचल। यह बँटवारा राजनीतिक-सांस्कृतिक आधार पर किया गया है। हर ज़ोन पर राष्ट्रीय सचिवों की तैनाती पहले ही महासचिव प्रियंका गांधी ने कर दी है। अब हर ज़ोन पर एक प्रांतीय अध्यक्ष होगा। यूपी कांग्रेस ने अपने संगठन को ज़मीन पर मज़बूत करने के लिए यह सांगठनिक बँटवारा किया है।

सांगठनिक अनुभव: यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष और प्रांतीय अध्यक्षों का नाम घोषित किया गया है उनके पास संगठन का एक लम्बा अनुभव रहा है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बृजलाल खाबरी, नकुल दुबे, अजय राय, नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी और विरेंद्र चौधरी के पास चुनावी राजनीति का लम्बा अनुभव भी रहा है। दूसरी तरफ़ योगेश दीक्षित और अनिल यादव इटावा के पास एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के संगठन की मजबूत पृष्टभूमि रही है। 

प्रांतीय अध्यक्षों के ज़रिए कांग्रेस ने साधा मज़बूत जातीय समीकरण: यूपी कांग्रेस ने एक तरफ़ बृजलाल खाबरी को अध्यक्ष बनाकर दलित समाज में मैसेज दिया है। वहीं प्रांतीय अध्यक्षों में दो ब्राह्मण, एक मुस्लिम, एक भूमिहार और पिछड़ी जाति से दो प्रांतीय अध्यक्ष बनाया है। सिर्फ़ इतना ही नहीं उनके कार्यक्षेत्र भी उनके जातीय आधार पर बाँटे जाएँगे। सूत्रों की माने तो पूर्वांचल में वीरेंद्र चौधरी, प्रयाग में अजय राय, अवध में नकुल दुबे, ब्रज में यादवलैंड से आने वाले अनिल यादव(इटावा) और बुंदेलखंड में योगेश दीक्षित को ज़िम्मेदारी दी जाएगी।

कौन हैं कांग्रेस के नए अध्यक्ष बृजलाल खाबरी?: बुंदेलखंड के जालौन ज़िले में एक तहसील है-कोंच। कोंच के एक छोटे से खाबरी नाम के गाँव के रहने वाले हैं बृजलाल। बृजलाल से बृजलाल खाबरी बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। बात 1977 की है। खाबरी गाँव में दलित समाज के ऊपर आए दिन अत्याचार होता था। एक दिन एक दलित बृजलाल के पिता के पास आकार रोने लगा। तब 9 वीं क्लास में पढ़ने वाले बृजलाल ने ग़ुस्से में तमतमाए हुए उस दलित पीड़ित के साथ थाने पर पहुँच गये। दरोग़ा से दमदारी के साथ बात किए और दलितों के साथ मारपीट करने वालों पर मुक़दमा दर्ज करवा दिया। यहीं से बृजलाल से बृजलाल खाबरी बन गये। रोज़ाना थाने- कचहरी में बृजलाल खाबरी लड़ते- भिड़ते दिखने लगे।

छात्र राजनीति में लोकप्रिय छात्र नेता रहे हैं खाबरी: जालौन के डीएवी पीजी कालेज में बृजलाल खाबरी एक लोकप्रिय छात्रनेता के बतौर जाने जाते थे। छात्र राजनीति में कई आंदोलनों के अगुवा रहे। दो बार चुनाव लड़े लेकिन कुछ वोटों से हार गए। 

दलित मिशन के लिए छोड़ दिया घर बार: इलाक़े के लोग बताते हैं की कांशीराम जी एक बार उरई आए थे। कैडर देने। कैडर देने का मतलब होता है प्रशिक्षण। बसपा में उन दिनों मिशन में नौजवानों को जोड़ने का बड़ा ज़ोर था। बसपा संस्थापक कांशीराम के भाषण से प्रभावित होकर बृजलाल खाबरी ने घर-बार छोड़ दिया। 1999 के लोकसभा चुनाव में बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद चुने गये। अगला चुनाव खाबरी हार गए लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया।

बृजलाल खाबरी ने एक संगठनकर्ता के बतौर शायद ही यूपी का कोई ज़िला रहा हो जहां काम न किया हो। गोरखपुर, आज़मगढ़, इलाहाबाद, पश्चिम के कई ज़िलों में प्रभारी के बतौर काम किया है। कांग्रेस को बृजलाल खाबरी का सांगठनिक तजुर्बा और जातीय आधार दोनों ही मज़बूत करेगा।

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