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भाजपा का किसान सम्मेलन: अन्नदाता का मतदाता बनने का समय आया तब आई किसानों की याद- अखिलेश यादव

राहुल यादव, लखनऊ। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है। खेत-खलिहान की उसे कोई सुध नहीं है। खेती-किसानी का संकट बढ़ता जा रहा है। अन्नदाता अपनी उपज मूल्य के लिए संघर्ष कर रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य सिर्फ घोषणाओं तक सीमित रह गया है। भाजपा सरकार की दोषपूर्ण नीतियों और मौसम की मार से किसान हताश हो रहा है।
      अखिलेश यादव ने कहा कि सुना है कि बातों की खेती करने वाली भाजपा उत्तर प्रदेश में ‘‘किसान सम्मेलन‘‘ करेगी। अन्नदाता का मतदाता बनने का समय जब निकट आ गया है तब जाकर भाजपा को किसानों की याद आयी है। किसान भाजपाइयों के बहकावे-फुसलावे में नहीं आने वाला है। 2022 में किसान एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ मतदान करेंगे।
     भाजपा सरकार काले कृषि कानून लागू कर किसानों का गला घोंटना चाहती है। भाजपा का मूल चरित्र पूंजीपति हितैषी है। बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही कृषि कानून लाया गया है। इससे किसान अपनी जमीन का मालिकाना हक खो देगा। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान अभी तक नहीं हुआ। खाद-बीज की समस्या जस की जस बनी हुई है। बे-मौसम बारिश एवं बाढ़ से सैकड़ों हेक्टेयर फसल जलमग्न हो गयी है। शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता के कारण किसानों को उचित मुआवजा भी नहीं मिल रहा है।
    यादव ने कहा समाजवादी पार्टी की सरकार में किसान प्राथमिकता में था। किसान हित में लिए गए फैसलों से गांव खुशहाल हो रहे थे। मंडियों की स्थापना कर अन्नदाता के फसलों का उचित मूल्य दिलाने का महत्वपूर्ण कार्य हुआ था। लेकिन किसान विरोधी भाजपा ने मंडियों को ध्वस्त कर दिया। अपने हक की लड़ाई लड़ने वाले आंदोलित किसान सरकार को नक्सली नज़र आ रहे हैं। 2022 में अन्नदाता भाजपा को हटाने के लिए संकल्पित है। बाईस में बाइसिकल से ही किसानों के चेहरे पर खुशहाली आयेगी।

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