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किसानों की मौत , “माननीयों “ की मौज

नई दिल्ली। भाजपा संसद वरुण गाँधी अपनी तेज तर्रार छवि के लिए जाने जाते हैं अपनी बात को बिना लाग लपेट के कहने के आदी हैं इसलिए भाजपा में सबसे निचले पायदान में पड़े हुए हैं। वरुण ने कहा की एक तरफ तो देश में पिछले एक साल में करीब 18000 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं तो वहीँ दूसरी ओर हामरे “माननीय “अपनी सैलरी बढ़ाने के लिए दवाब बना रहे हैं।

मंगलवार 1 अगस्त को लोकसभा में किसानों की खुदकुशी का मामला उठाते हुए वरुण गांधी ने कहा कि पिछले एक दशक में ब्रिटेन के 13 प्रतिशत की तुलना में हमने अपने वेतन 400 प्रतिशत बढ़ाए हैं, क्या हमने सही में इतनी भारी उपलब्धि अर्जित की है? जबकि हम अपने पिछले दो दशक के प्रदर्शन पर नजर डालें तो मात्र 50 प्रतिशत विधेयक संसदीय समितियों से जांच के बाद पारित किए गए हैं। जब विधेयक बिना किसी गंभीर विचार-विमर्श के पारित हो जाते हैं, तो यह संसद के होने के उद्देश्य को पराजित करता है। विधेयक को पारित करने की हड़बड़ी राजनीति के लिए प्राथमिकता दिखाती है, नीति के लिए नहीं। 41 प्रतिशत बिल सदन में चर्चा के बिना ही पारित किये गये।

देश में किसानों की समस्या और उनके खुदकुशी के मामलों का जिक्र करते हुए वरूण गांधी ने लोकसभा में मांग उठाई कि देश के इस तरह के हालात में सांसदों को स्वयं का वेतन बढ़ाने का अधिकार नहीं होना चाहिए और इसके लिए ब्रिटेन की संसद की तर्ज पर एक बाहरी निकाय बनाया जाना चाहिए जिसमें सांसदों का हस्तक्षेप नहीं हो।

वरुण गांधी ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि राजकोष से अपने स्वयं के वित्तीय संकलन को बढ़ाने का अधिकार हथियाना हमारी प्रजातान्त्रिक नैतिकता के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि इस देश की ज्यादा से ज्यादा अच्छाई के लिए, हमें वेतन निर्धारित करने के लिहाज से सदस्यों से स्वतंत्र एक बाहरी निकाय बनाना होगा। यदि हम स्वयं को विनियमित करते हैं और देश के हालात तथा समाज में अंतिम व्यक्ति की आर्थिक स्थितियों पर विचार करते हैं, तो हमें कम से कम इस संसद की अवधि के लिए अपने विशेषाधिकारों को छोड़ देना चाहिए।

वरुण ने कहा कि वेतन के संबंध में मामलों को बार-बार उठाया जाता है, यह मुझे सदन की नैतिक परिधि के बारे में चिंतित करता है। पिछले एक साल में करीब 18,000 किसानों ने आत्महत्या की है। हमारा ध्यान कहां हैं? उन्होंने कहा कि कुछ सप्ताह पहले तमिलनाडु के एक किसान ने अपने राज्य के कृषकों की पीड़ा पर क्षोभ प्रकट करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में आत्महत्या का प्रयास किया। पिछले महीने इसी राज्य के किसानों ने अपने साथी किसानों की खोपड़ियों के साथ यहां प्रदर्शन भी किया था। इस सबके बावजूद तमिलनाडु की विधानसभा ने गत 19 जुलाई को बेरहमी से असंवेदनशील अधिनियम के माध्यम से अपने विधायकों की तनख्वाह को दोगुना कर लिया।

आपको बता दें कि दरअसल इस बार संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में सांसदों की वेतन बढ़ाने की मांग उठी थी। सांसदों का कहना था कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद उनका वेतन सरकार के सचिव से भी कम हो गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने इसकी शुरुआत की और तो बाद में कांग्रेस के आनंद शर्मा ने उनके सवाल को सही ठहराते हुए उनका साथ दिया। आनंद शर्मा ने कहा था कि भारतीय सांसदों को दुनिया के जनप्रतिनिधियों के मुकाबले सबसे कम वेतन मिलता है। वरुण गांधी का कहना था कि विधायक और सांसद अधिकतर पहले से ही अमीर होते हैं और ऐसे में वेतन बढ़ाने की मांग जायज नहीं लगती है।

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