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कहर अभी बाकी है, देश में 15 मई तक 50 लाख पहुंच सकते हैं कोरोना के एक्टिव केस

देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में रोजाना कई लोगों की मौत हो रही है। एक्टिव मामलों की संख्या में भी तेजी से बढ़ती जा रही है। कोहराम मचा रही इस लहर के बीच आईआईटी के वैज्ञानिकों ने डरा देने वाला दावा किया है। कहा गया है कि भारत में 15 मई तक तकरीबन 50 लाख तक कोरोना के एक्टिव केस पहुंच सकते हैं।

आईआईटी के मैथमैटिकल मॉडल के अनुसार, 14-18 मई के बीच दूसरे लहर की पीक होगी, जिसमें एक्टिव केस 38-48 लाख तक जा सकते हैं। वहीं, 4-8 मई के बीच रोजाना संक्रमण का आंकड़ा 4.4 लाख तक को छू सकता है। आईआईटी के इस दावे ने चिंताओं को और अधिक बढ़ा दिया है।

मालूम हो कि देश में पिछले कई दिनों से तीन लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। सोमवार सुबह आए आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में देश में 3,52,991 नए कोरोना के मामले सामने आए, जबकि इस दौरान 2,812 लोगों की जान चली गई। एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर 28,13,658 हो गई है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी कानपुर और हैदराबाद ने सूत्र मॉडल को लगाते हुए एक्टिव केसों के बढ़ने की बात कही है। उनके अनुसार, मिड मई तक दस लाख और कोरोना के एक्टिव केस बढ़ सकते हैं। इससे पहले, पिछले हफ्ते रिसर्चर्स ने प्रिडिक्ट किया था कि 11-15 मई के बीच दूसरी लहर का पीक आ सकता है, जिसमें एक्टिव केस बढ़कर 33-35 लाख के बीच हो सकते हैं।

बाद में मई के आखिर से कोरोना के नए मामले घटने लगेंगे, जिससे लोगों को राहत मिलेगी। हालांकि, इस महीने की शुरुआत में इसी मॉडल के हवाले से कहा गया था कि 15 अप्रैल तक एक्टिव केस का पीक आएगा, जोकि सच साबित नहीं हुआ।

आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने कहा, ”इस बार हमने सबसे कम और सबसे ज्यादा वैल्यू को भी लिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि जो दो संख्या दी गई है, उसके बीच में ही वास्तविक मामले होंगे।”

रविवार को अग्रवाल ने ट्विटर थ्रेड में एक्टिव और नए कोविड मामलों के पीक के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने लिखा, ‘पीक आने का समय: 14-18 मई के दौरान एक्टिव केस और 4-8 मई के दौरान रोजाना सामने आने वाले नए संक्रमण के मामले। पीक वैल्यू: एक्टिव केसों के लिए 38-48 लाख और नए संक्रमण के लिए 3.4 लाख से लेकर 4.4 लाख तक।”

अग्रवाल ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि मैंने अब पीक वैल्यू और टाइमिंग के लिए कई वैल्यूज की गणना की है और फाइनल नंबर इस रेंज में होने चाहिए। समय के साथ मॉडल के बदलते अनुमानों के बारे में बताते हुए अग्रवाल ने कहा, ”प्राथमिक वह यह है कि भारत के लिए वर्तमान फेज के पैरामीटर मूल्यों में निरंतर धीमी गति के बहाव से चल रहा है। इससे सही वैल्यू का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है।” अभी तक अप्रकाशित स्टडी में वैज्ञानिकों का कहना है कि सूत्र मॉडल में कई तरह की विशेषताएं हैं।

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