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ऑक्सीजन संकट रिपोर्ट पर छिड़ी राजनीतिक जंग, बीजेपी बोली- केजरीवाल दोषी

नई दिल्ली। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान हुई ऑक्‍सीजन किल्‍लत का मुद्दा फिर खड़ा हो गया है। ‘ऑक्सीजन रिपोर्ट’ आने के बाद बीजेपी और दिल्‍ली सरकार में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। ऑक्सीजन रिपोर्ट के अनुसार दिल्‍ली सरकार ने महामारी के दौरान चार गुना अधिक ऑक्‍सीजन की जरूरत बताई थी।

भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके झूठ के कारण 12 राज्यों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई, अगर इन राज्यों को ऑक्सीजन मिल जाता तो बहुत लोगों की जान बच सकती थी।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केजरीवाल ने ऑक्सीजन को लेकर दूषित राजनीति करके जघन्य अपराध किया है, इस आपराधिक लापरवाही के लिए उन्हें उच्चतम न्यायालय में दोषी ठहराया जाना चाहिए।

उन्होंने ऑक्सीजन रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, “केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्होंने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के दिशा निर्देशों के अनुसार ऑक्सीजन की जरूरत की गणना की थी, मगर जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने केजरीवाल से आईसीएमआर की दिशा निर्देशों की प्रति मांगी तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।”

पात्रा ने आगे कहा, “छह मई को श्री केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन करके 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी। उसके कुछ घंटे बाद उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्डा ने कहा था कि उन्हें 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन चाहिए। एक ही दिन में दो अलग-अलग आंकड़ा बताया गया।

यह कहीं न कहीं एक साजिश के तहत किया गया है, दिल्ली सरकार ने अपनी गलती छिपाने के लिए केंद्र पर दोषारोपण किया।” उन्होंने कहा ,”ऑक्सीजन ऑडिट के लिए गठित समिति के अनुसार दिल्ली सरकार की तरफ से 25 अप्रैल से 10 मई के बीच ऑक्सीजन की जो मांग रखी गयी, वह वास्तविक आवश्यकता से चार गुना तक अधिक थी।

समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि दिल्ली को ऑक्सीजन की अतिरिक्त आपूर्ति से 12 राज्यों में आपूर्ति प्रभावित हुई। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में बिस्तर क्षमता के हिसाब से 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, जबकि दिल्ली सरकार द्वारा दावा किया गया कि उन्हें 1140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन चाहिए, जो क्षमता से चार गुना ज्यादा थी।”

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के ऑक्सीजन की मांग को चार गुना बढ़ाने का दावा करने वाली रिपोर्ट देने की खबर को शुक्रवार को खारिज कर दिया।

सिसोदिया ने ऑनलाइन एक संवाददाता सम्मेलन में भाजपा पर ऐसी रिपोर्ट को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उप मुख्यमंत्री ने कहा, ” ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है। हमने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के सदस्यों से बात की है।

उन्होंने कहा कि ऐसी किसी रिपोर्ट पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भाजपा झूठी रिपोर्ट पेश कर रही है, जो उसकी पार्टी मुख्यालय में तैयार की गई है। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि ऐसी रिपोर्ट पेश करें, जिस पर ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हों।’

उन्होंने कहा कि ऐसा करके भाजपा केवल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का अपमान नहीं कर रही, बल्कि ”उन लोगों का भी अपमान कर रही है जिन्होंने कोरोना वायरस के कहर के प्रकोप के दौरान अपने परिवार वालों को खो दिया।

” उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार के कुप्रबंधन के कारण ही ”ऑक्सीजन का संकट उत्पन्न हुआ था।” दिल्ली में अप्रैल तथा मई में कोविड-19 की दूसरी लहर का बहुत बुरा असर हुआ था। इस दौरान शहर के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण रोजाना कई लोगों की मौत हुई थी।

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