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इंदिरा के सबसे विश्वस्त सहयोगी रहे धवन का लम्बी बीमारी के बाद निधन

लखनऊ : कांग्रेस वरिष्ठ नेता आर के धवन ने एक टाइपिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। लेकिन प्रतिभा और समझ की वजह से राजनीति में खास मुकाम बनाया। धवन दो दशकों से भी अधिक समय तक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सबसे विश्वस्त सहयोगी रहे। धवन 1962 में निजी सहायक के रूप में इंदिरा गांधी के संपर्क में आए है। इसके बाद उनका साथ इंदिरा की हत्या के बाद ही छूटा। वह 1984 में तक इंदिरा के निजी सचिव के तौर पर काम किया। जब इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति के मद्देनजर 1975 में देश में आपातकाल लगाया, तब भी वह उनके सबसे करीबी नेताओं में थे, जिन्हें सरकार की हर गतिविधि की जानकारी होती थी। जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, उस समय भी धवन घटनास्थल पर ही मौजूद थे। लेकिन इंदिरा की हत्या के बाद धवन लगभग सार्वजनिक जीवन से अलग हो गए।

धवन दो दशकों से भी अधिक समय तक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सबसे विश्वस्त सहयोगी रहे। धवन 1962 में निजी सहायक के रूप में इंदिरा गांधी के संपर्क में आए है। इसके बाद उनका साथ इंदिरा की हत्या के बाद ही छूटा। वह 1984 में तक इंदिरा के निजी सचिव के तौर पर काम किया। जब इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति के मद्देनजर 1975 में देश में आपातकाल लगाया, तब भी वह उनके सबसे करीबी नेताओं में थे, जिन्हें सरकार की हर गतिविधि की जानकारी होती थी। जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, उस समय भी धवन घटनास्थल पर ही मौजूद थे। लेकिन इंदिरा की हत्या के बाद धवन लगभग सार्वजनिक जीवन से अलग हो गए।

74 वर्ष की उम्र में विवाह
धवन ने 74 साल की उम्र में 2011 में अचला से विवाह किया। बाद में अचला ने बताया कि वह लंबे समय से धवन से जुड़ी थी और उनके काम में सहयोग करती थीं। एक साक्षात्कार में धवन ने कहा था कि वह अचला को खुश रखना चाहते थे, इसलिए विवाह का फैसला किया।

कई महीनो से बीमार थे
परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि धवन उम्र संबंधी बीमारियों का सामना कर रहे थे। उन्हें मंगलवार को दिल्ली स्थित बीएल कपूर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने सोमवार शाम सात बजे आखिरी सांस ली।

मैं कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता आर के धवन निधन की खबर सुनकर दुखी हूं।मेरी संवेदनाए उनके परिवार के साथ है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। – सुधांशु मित्तल, भाजपा प्रवक्ता

आरके धवन के निधन के साथ एक कालखंड समाप्त हो गया। मुझे उनसे 1977 में हुई पहली मुलाकात याद है। उस समय मैं 12 साल का था। मेरे पिता स्वर्गीय डॉ.वीएन तिवारी इंदिरा गांधी पर किताब ‘12 विलिंगडन क्रीसेंट’ लिख रहे थे, जहां पर वह मुश्किल समय में रही थीं। – मनीष तिवारी, कांग्रेस नेता

आरके धवन के निधन से बहुत दुखी हूं। हम उनकी पार्टी को दिए उल्लेखनीय योगदान को याद हमेशा याद रखेंगे। मेरी संवेदनाएं इस मुश्किल समय में उनके परिवार के साथ है। – ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस नेता

श्री राके धवन के निधन से स्तब्ध हूं। हालांकि वह बीमार थे, लेकिन कभी उम्मीद नहीं की थी कि अंत इतना शीघ्र होगा। पार्टी और सरकार में वह करीबी सहयोगी थे, वह हमेशा याद रहेंगे। -प्रणब मुखर्जी, पूर्व राष्ट्रपति

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