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43 साल बाद सूर्य की ओर तेजी से छलांग लगाने को तैयार है ये धूमकेतु

अंतरिक्ष के रहस्यों को खोजने में लगे खगोलविदों को आसमान के गहरे अंधेरे में एक अभूतपूर्व घटना नजर आई है। खगोलविदों को बृहस्पति की परछाई में एक रहस्यमयी बर्फीला गोला धूमकेतु में बदलता नजर आया है। 

खगोलविदों का अनुमान है कि यह धूमकेतु अब लगभग 43 साल के बाद सूर्य की ओर छलांग लगा देगा। इस धूमकेतु को एलडी2 नाम दिया गया है। लेकिन इन्हे सेंटोर के रूप में भी मूल रूप से जाना जाता है। बताया जाता है कि ऐसे सेंटोर बृहस्पति और नैप्चून के बीच घूमते रहते हैं। 

खगोलविदों का मानना है कि यह सेंटोर क्षुद्रग्रह और धूमकेतु की तरह व्यवहार कर सकते हैं। कई बार और यह सौर मंडल से बाहर हो जाते हैं और कई बार सूर्य के करीब चले जाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये धूमकेतु सूर्य की ओर आते हुए काफी सक्रिय हो जाते हैं और धूमकेतु का रूप धारण कर करते हुए सूर्य की परिक्रमा करने लगते हैं।

खगोलविदों का कहना है कि इन सेंटोर का यह भ्रमण काल वर्ष 2063 में पूरा होगा। लेकिन इस बीच यह देखना काफी दिलचस्प रहेगा कि जब एक प्राचीन बर्फीला गोला सूर्य की ओर छलांग लगाएगा तो इसका क्या परिणाम होगा। 

इस बारे में पिछले महीने द एस्ट्रोफिजिकल जनर्ल लैटर्स में लेख प्रकाशित किया गया था। इस लेख में बताया गया था कि एलडी2 के आसपास चल रही गुरुत्वाकर्षण खींचतान से यह समझा गया है कि हो सकता है कि यह सौर मंडल के भीतर स्थान बनाएगा।

बताते चले कि नासा ने इसका पता पिछले साल लगाया था। दरअसल, नासा के अलर्ट सिस्टम एटलस में जो टेलीस्कोप लगे हैं उनमें इन धूमकेतु के बारे में पता लगा था। उस बीच यह धूमकेतु बृहस्पति के कक्षीय पथ को खोजता करता दिखाई दे रहा था। बहरहाल,  इस बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि 43 साल बाद यह बहुत तेज गति से सूर्य के आसपास घूमता दिखाई देने वाला है।

नासा ने इस धूमकेतु का पता लगाने से पहले सूर्य की कुछ तस्वीरों का जिक्र किया था। इन तस्वीरों में सूर्य के पास हर जगह पर अनगिनत आग जलती दिख रही हैं। केप ऑरनेवरल से फरवरी में लॉन्च किए गए सौर ऑर्बिटर द्वारा ली गई इन तस्वीरों को वैज्ञानिकों ने जारी किये थे।

यह ऑर्बिटर सूरज से लगभग 77 मिलियन किलोमीटर दूर बताया जा रहा था। ये पृथ्वी और सूरज के बीच का लगभग आधा हिस्सा है और इसी बीच उसने पिछले महीने सूरज की हाई-रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें लीं गई थी।

इस बारे में वैज्ञानिकों ने बताया कि नासा का पार्कर सोलर प्रोब सौर ऑर्बिटर की तुलना में सूर्य के काफी करीब उड़ रहा था। ये कैमरा सौर हवा का निरीक्षण करने के लिए सूर्य के विपरीत दिशा में देख रहा था। यही कारण है कि सोलर ऑर्बिटर द्वारा ली गई इन नई तस्वीरों में पीले और गहरे धुएं के रंग की लहरे दिखाई देती है।

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