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374 दिन से कार्यकाल पूरा करने से चूके सीएम रावत, राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा

उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से जारी नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। मुख्यमंत्री रावत राजभवन पहुंचे और राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा। त्यागपत्र देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए रावत ने कहा कि कल सुबह 10 बजे पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में विधायक दल की बैठक बुलाई गई है जहां नए नेता का चुनाव किया जाएगा।

फिलहाल राज्यपाल ने नया सीएम चुने जाने तक उन्हें पद पर बने रहने को कहा है। अब भाजपा विधानमंडल दल की बैठक बुधवार को देहरादून में होने की उम्मीद है। इस बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधानमंडल दल के नेता का चुनाव किया जाएगा। उधर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पर्यवेक्षक डॉ रमन सिंह व प्रभारी दुष्यंत गौतम बुधवार देहरादून पहुंच रहे हैं। सभी विधायक भी देहरादून की ओर कूच कर गए हैं।

आपको बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 18 मार्च 2017 में बीजेपी ने यूपी और उत्तराखंड में प्रचंड जीत की होली खेली थी। 70 में से 57 सीटों की भारी जीत और उम्मीदों के साथ रावत ने उत्तराखंड के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में कुर्सी संभाली थी।

आने वाली 18 मार्च को चार साल पूरा करने पर जश्न की तैयारी थी। लेकिन उससे पहले ही त्रिवेंद्र को कुर्सी से हटना पड़ गया। इसके पीछे के कारणों की बात की जाए तो  गैरसैंण मंडल की घोषणा, नन्दप्रयाग-घाट सड़क के आंदोलनकारियों पर बजट सत्र के दौरान जबरदस्त लाठीचार्ज समेत तमाम ऐसे कारण रहे जो उनकी छवि पर दाग की तरह काम कर गए।

वहीं उत्तराखंड के सीएम आवास से जुड़ी एक बात फिर चरितार्थ हो गयी कि जो भी इस सीएम आवास में रहा वह अपना कार्यकाल पूर्ण नहीं कर पाया। जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि वे पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे और इस मिथक को तोड़ कर रहेंगे, लेकिन अफसोस की चार साल पूरा होने से पहले ही त्रिवेंद्र रावत को कुर्सी छोड़ने पड़ी। और एक बार यह मिथक सही साबित हो गया।

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