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सुरक्षा की वजह से क्या लोगों के राइट्स खत्म कर दिए जाएंगे: चंद्रशेखर आजाद

अशाेक यादव, लखनऊ। उच्चतम न्यायालय ने हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले में मंगलवार को जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने इस मामले को भयानक बताया।

सुनवाई से पहले राज्य सरकार ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया।

जिसमें कहा गया कि संभावित दंगों के कारण प्रशासन ने पीड़िता के परिवार को रात में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मना लिया था।

भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर आजाद ने कहा कि सुरक्षा की वजह से क्या लोगों के राइट्स खत्म कर दिए जाएंगे?

कानून व्यवस्था फिर किस लिए?

भीम आर्मी चीफ ने आगे कहा कि जब दिल्ली से जाने वाले लोगों के लिए सुरक्षा के इंतजाम हो सकते हैं, तो हिंसा भड़काने वाले लोगों को भी रोका जा सकता है।

कौन लोग हिंसा करना चाहते हैं ?

अभी तक पीड़ित परिवार की तरफ से कोई हिंसा नहीं कि गई।

क्या सुरक्षा की वजह से लोगों के राइट्स खत्म कर दिए जाएंगे ?

कानून व्यवस्था फिर किस लिए है?”

उन्होंने कहा कि, “मैंने पहली बार देखा है कि राम राज्य में पुलिस करती क्या है।

पूरे देश में पुलिस का काम सबूत इकट्ठा करना होता है।

भारत में खासतौर पर उत्तर प्रदेश में पुलिस का काम सबूत मिटाना है।

शव को लेने के लिए पीड़ित परिवार ने सिग्नेचर नहीं किए, पीड़ित परिवार दिल्ली में और शव यूपी में चला जाता है, ये कैसे संभव?

पीड़ित परिवार की जो मांगें थीं, उनपर गौर क्यों नहीं हुआ, वो तो साथ चलने के लिए तैयार थे।

पीड़ित परिवार की सहमति के बिना शव को ले जाना क्राइम है।

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