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सीओ जियाउल हक हत्याकांड: CBI की अग्रिम विवेचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

अशाेक यादव, लखनऊ। कुंडा के तिहरा हत्याकांड मामले में अग्रिम विवेचना के सीबीआई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है। सीबीआई ने यह याचिका दाखिल करते हुए, अग्रिम विवेचना के आदेश को चुनौती दी थी।

यह आदेश न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की एकल पीठ ने सीबीआई की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। उक्त याचिका 2014 से ही विचाराधीन थी। सीबीआई की ओर से किसी के भी पेश न होने पर न्यायालय ने यह आदेश पारित किया।

इस हत्याकांड मामले में मारे गए सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद की एफआईआर पर फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए, सीबीआई ने पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया और अन्य को क्लीन चिट दे दिया था।

उक्त फाइनल रिपोर्ट को परवीन आजाद ने सीबीआई कोर्ट में प्रोटेस्ट याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। जिस पर सीबीआई कोर्ट ने 8 जुलाई 2014 को पारित अपने आदेश में सीबीआई जांच पर गम्भीर सवाल उठाए थे। साथ ही सीओ की पत्नी द्वारा दर्ज कराई एफआईआर की अग्रिम विवेचना के आदेश दिए थे और फाइनल रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि सीबीआई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई ने मामले की समुचित विवेचना नहीं की है व साक्ष्य संकलन में मात्र खानापूर्ति की है। कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि सीओ जियाउल हक को इतनी निर्ममता से मारा पीटा गया जबकि वहां मौजूद पुलिस वालों को मात्र साधारण चोटें व खरोचें आईं।

आखिर ऐसा क्यों हुआ व वहां मौजूद किसी पुलिसकर्मी ने सीओ को बचाने की कोई कोशिश क्यों नहीं की। कोर्ट ने कहा था यहां तक कि सीबीआई ने तत्कालीन एसओ हथिगवां का बयान तक अंकित नहीं किया। इन तल्ख टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने अग्रिम विवेचना के आदेश दिए थे।

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