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योगीराज में सहकारी बैंकों से खत्म हुआ मुलायम परिवार का रसूख, 323 में से मिलीं केवल 19 सीटें

अशाेक यादव, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के परिवार का रसूख और रुतबा लगातार घटता जा रहा है। दरअसल पहले जहां परिवार में उपजी आपसी कलह की वजह से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा और अब एक बार फिर से पार्टी के हाथ से ऐसी सत्ता जा रही है।

जिस पर उसका पिछले लगभग 30 साल से कब्जा था। दरअसल हम बात कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के सहकारी ग्राम विकास बैंक की। यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक में लगातार चला आ रहा मुलायम सिंह यादव परिवार का तिलिस्म अब टूट गया है।

दरअसल 1991 के बाद अब ऐसा पहली बार हुआ है, जब बैंक की 323 शाखाओं में से महज 19 पर ही विपक्ष का कब्जा हुआ है। जबकि कुल दस जगह चुनाव निरस्त कर दिए गए और 11 जगह पर निर्वाचन प्रक्रिया नहीं हो सकी।

ऐसे में बाकी बची 293 स्थानों पर भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराया है। हालांकि सहकारिता की सियासत में शिवपाल सिंह यादव और उनकी पत्नी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।

यही नहीं यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक के सभापति और उपसभापति पद पर भी अब भाजपा का कब्जा हो गया है। इस क्रम में जहां सभापति पद पर संतराज यादव निर्विरोध चुने गए, तो वहीं केपी मलिक को उपसभापति चुना गया है। दोनों ही पदों पर भाजपा का कब्जा हुआ है। इससे पहले शिवपाल सिंह यादव ही ग्राम्य विकास बैंक के सभापति थे।

भाजपा के पक्ष में गई सीटों की बात करें, तो पश्चिम में 59 में से 55, अवध के 65 में से 63, काशी के 38 में से 33 और गोरखपुर के 34 में से 30 स्थानों पर भाजपा का कब्जा रहा। जबकि कानपुर और ब्रज की सीटों पर ही विपक्ष का कब्जा हो सका।

आपको बता दें कि इससे पहले बसपा भी अपने शासन काल में यूपी सहकारी ग्राम्य विकास बैंकों में से सपा का वर्चस्व नहीं हटा सकी थी लेकिन अब भाजपा सरकार में सपा को तगड़ा झटका लगा है।

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