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भोपाल गैस त्रासदी: 35 वर्षों बाद भी कम नहीं हो रहा पीड़ितों का दर्द, इन समस्याओं का कर रहे सामना

भोपाल में यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी से पीडितों के हितों में काम करने वाली संभावना ट्रस्ट क्लीनिक के सदस्यों ने आज यहां हादसे से पीड़ितों में सामान्य से अधिक मोटापे और थायरॉयड की समस्या पाए जाने के आंकड़े पेश किए।

संभावना ट्रस्ट क्लीनिक के सदस्यों ने यूनियन कार्बाइड हादसे की 36 वीं बरसी के उपलक्ष्य में आयोजित एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में हादसे के पीड़ितों में सामान्य से अधिक मोटापे और थायरॉयड की समस्या पाए जाने के आंकड़े पेश किए।

इसके साथ ही उन्होंने कोरोना महामारी के खिलाफ क्लीनिक द्वारा पिछले आठ महीने में किए गए समुदाय आधारित सफल काम का ब्योरा भी प्रस्तुत किए।

क्लीनिक के चिकित्सक डा. संजय श्रीवास्तव ने कहा हमारे क्लीनिक में पिछले 15 वर्षों से इलाज ले रहे 27 हजार 155 गैस पीड़ितों और अन्य लोगों के आंकड़ों के विश्लेषण से यह पाया गया है कि यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैसों से पीड़ित लोगों में अधिक वजन और मोटापा होने की सम्भावना अपीड़ित लोगों से 2.75 गुणा ज़्यादा है और उनमें गैस से अपीड़ितों के मुकाबले थायरॉइड सम्बंधित बीमारियों का दर 1.92 गुणा ज़्यादा है।

संभावना ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी सतीनाथ षड़ंगी ने कहा गैस पीड़ितों में मोटापा ज़्यादा होने से उनमें डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, जोड़ों का दर्द और जिगर, गुर्दे, स्तन और गर्भाशय के कैन्सर व अन्य बीमारियों का खतरा ज़्यादा होने की आशंका है।

‘गैस पीड़ितों में थायरॉइड बीमारियों का दर लगभग दूना पाया जाना यह दर्शाता है की गैस कांड की वजह से पीड़ितों के शरीर के अन्य तन्त्रों के साथ साथ, अंतस्त्रावी तन्त्र को भी स्थाई नुकसान पहुंचा है।

क्लीनिक की सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता तबस्सुम आरा ने बताया कि सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक और चिंगारी पुनर्वास केन्द्र के कार्यकर्ताओं ने पिछले आठ महीनों में कोरोना महामारी से जूझने के लिए 42 हज़ार की कुल आबादी वाली 15 मोहल्लों में जागरूकता फैलाने, समुदाय से स्वास्थ्य स्वयंसेवी बनाने,ज़रूरतमंदों का विशेष ख्याल रखने और कोरोना की जांच और इलाज में मदद पहुंचाने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1996 में यूनियन कार्बाइड के जहरों से पीड़ितों के मुफ्त इलाज के लिए स्थापित सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक ने अभी तक 25348 गैस पीड़ितों और यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे से प्रदूषित भूजल से पीड़ित 7449 लोगों का इलाज किया है।

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने में 2 व 3 दिसंबर 1984 की रात्रि जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गयी थी तथा अनेक लोग इससे प्रभावित हुए थे।

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