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नो टेस्ट-नो कोरोना, सरकार का मंत्र : प्रियांका गांधी वाद्रा

 

राहुल यादव, लखनऊ। कांग्रेस की महासचिव प्रियांका गांधी वाद्रा ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  को शुक्रवार को पत्र लिखा है। प्रियांका ने कहा कि  यूपी में कल कोरोना के 2500 केस आए और लगभग सभी महानगरों में कोरोना मामलों की बाढ़ सी आई है । अब तो गाँव देहात भी इससे अछूते नहीं है । इससे साफ प्रतीत होता है कि आपकी सरकार ने ‘ नो टेस्ट : नो कोरोना ‘ को मंत्र मानकर Low TESTING की पॉलिसी अपना रखी है । अब एकदम से कोरोना मामलों के विस्फोट की स्थिति है । जब तक पारदर्शी तरीके से टेस्ट नहीं बढ़ाए जाएँगे तब तक लड़ाई अधूरी रहेगी व स्थिति और भी भयावह हो सकती है । यूपी में क्वारंटीन सेंटर और अस्पतालों की स्थिति बड़ी दयनीय है । कई जगह की स्थिति इतनी खराब है कि लोग कोरोना से नहीं अपितु सरकार की व्यवस्था से डर रहे हैं । इसी कारण लोग टेस्ट के लिए सामने नहीं आ रहे हैं । ये सरकार की बड़ी विफलता है ।  कोरोना का डर दिखाकर पूरे तंत्र में भ्रष्टाचार भी पनप रहा है । जिस पर अगर समय रहते लगाम न कसी गई तो कोरोना की लड़ाई विपदा में बदल जाएगी । आपकी सरकार ने दावा किया था कि 1.5 लाख बेड की व्यवस्था है लेकिन लगभग 20,000 सक्रिय संक्रमित केस आने पर ही बेडों को लेकर मारामारी मच गई है । अगर अस्पतालों के सामने भयंकर भीड़ है तो मैं यह नहीं समझ पा रही हूँ कि यूपी सरकार मुंबई और दिल्ली की तर्ज पर अस्थाई अस्पताल क्यों नहीं बनवा रही है ? चिकित्सीय सुविधा पाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है ।  प्रधानमंत्री बनारस के सांसद हैं और रक्षामंत्री लखनऊ के , अन्य भी कई केंद्रीय मंत्री उत्तर प्रदेश से हैं । उन्होंने सवाल उठाया कि आख़िर बनारस , लखनऊ , आगरा आदि में अस्थाई अस्पताल क्यों नहीं खोले जा सकते ? DRDO , सेना और पैरा मिलिटरी द्वारा अस्थाई अस्पतालों का संचालन किया जा सकता है । या आवश्यकता हो तो DRDO के अस्पताल को लखनऊ लाया जा सकता है ।

 साथ ही दिल्ली में स्थापित केंद्रीय सुविधाओं का प्रयोग सीमवर्ती जिलों के लिए भी किया जा सकता है । वहाँ के अस्पतालों का अधिकतम उपयोग अभी नहीं हो पा रहा है । 
 होम आइसोलेशन एक अच्छा कदम है परंतु इसे भी आनन – फानन में आधा अधूरा लागू नहीं किया जाए । इसे लागू करते वक्त सुनिश्चित किया जाएँ कि, मरीजों की मॉनिटरिंग और सर्विलांस की क्या व्यवस्था होगी ? , हालत बिगड़ने पर किसे सूचना देनी होगी ? , होम आइसोलेशन में चिकित्सीय सुविधाओं का खर्च क्या होगा ?, मरीजों के टेम्प्रेचर और ऑक्सिजन लेवल चेक करने की व्यवस्था क्या होगी ?
 सरकार को इसकी पूरी मैपिंग करके जनता को स्थानीय स्तर पर सम्पूर्ण जानकारी देनी चाहिए । स्थितियाँ गंभीर होती जा रही हैं ।  सिर्फ प्रचार और न्यूज मैनेज करके ये लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है ।  आशा है कि आप जल्द बड़े और प्रभावी कदम उठाएँगे जिससे उप्र की जनता को यह भरोसा हो सके कि सरकार उनके जीवन की रक्षा के लिए तत्पर है और उन्हें भगवान भरोसे नहीं छोड़ दिया जाएगा ।   उप्र की जनता के स्वास्थ्य और जीवन की रक्षा इस समय हमारी सबसे बड़ी भावना है । 

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