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दो महीने में चौथे मंत्री का इस्तीफा, श्रीलंकाई सेना प्रमुख ने की शांति की अपील

कोलंबो। श्रीलंका में जारी आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच इन्वेस्टमेंट प्रमोशन मिनिस्टर धम्मिका परेरा ने रविवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। ‘डेली मिरर’ के अनुसार श्री परेरा को 24 जून को निवेश संवर्धन मंत्री नियुक्त किया गया था। धम्मिका बीते दो महीने में मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले चौथे मंत्री हैं। वहीं, दूसरी तरफ सेना प्रमुख शैवेंद्र सिल्वा ने लोगों से सिक्योरिटी फोर्सेज और पुलिस का सहयोग करने की अपील की है, ताकि देश में शांति स्थापित की जा सके।

श्रीलंका के एग्रीगेटर न्यूजवायर ने भी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को लिखे त्याग पत्र को प्रकाशित किया है, जिसमें मंत्री ने कहा,“ मेरा मानना है कि श्रीलंका को शीघ्र ही अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के हल को पहचान कर उसे लागू करना चाहिए, जो हमारे देश के लोंगो की जरुरतों को पूरा करेगा। मैंने हमेशा अपने देश के हित में अच्छा काम किया है । मैं तत्काल निवेश एवं संवर्धन मंत्री पद से त्याग पत्र दे रहा हूं।”

ये हैं असंतोष के बड़े कारण

  • लोगों के पास काम नहीं, पैसे की कमी ने बुरी तरह तोड़ा
  • दवा से लेकर खाने-पीने के सामानों की भारी कमी
  • भुखमरी की स्थिति गंभीर बीमारियों से लाचार, हर ओर बेबसी
  • पेट्रोल-डीजल की किल्लत, 16 घंटे बिजली की कटौती
  • लोगों को कौड़ियों के भाव बेचनी पड़ रही जमीन, गहने भी बिके
  • शनिवार को दिनभर रही अराजक स्थिति
  • जहाज पर सामान लादकर भागते दिखते राष्ट्रपति गोटबाया
  • राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेवी जहाज से भागने की सूचना, महिंदा का भी पता नहीं

कहां गायब हो गए राष्ट्रपति गोटबाया?
श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति आवास पर कब्जा करने के बाद सबके मन में एक ही सवाल है, आखिर गोटबाया कहां गायब हो गए? स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गोटबाया शुक्रवार को राष्ट्रपति आवास पर ईरान के राजदूत से मिले थे। इसके बाद उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।

13 जुलाई को पद छोड़ेंगे राष्ट्रपति
विरोध के बाद, राष्ट्रपति राजपक्षे ने संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को सूचित किया कि वह 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे। जबकि प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कहा कि जैसे ही सर्वदलीय सरकार सत्ता संभालने के लिए तैयार होगी, वह इस्तीफा दे देंगे। राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद अध्यक्ष कार्यवाहक अध्यक्ष बनेंगे। बाद में नए राष्ट्रपति को चुनने के लिए सांसदों के बीच चुनाव कराया जाएगा।

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