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थैंक यू डॉक्टर ! मिलिए इन चिकित्सकों से जो हैं मानवता की मिसाल

लखनऊ। दौर बदला,समय बदला तो व्यवस्था में भी बदलावा संभव है, जब से चिकित्सा सेवा पर व्यावसायिकता का दबाव बढ़ रहा है तब से चिकित्सकों की भूमिका में बदलाव की बातें कही जाती हैं, लेकिन आज भी प्रदेश में कई ऐसे चिकित्सक मौजूद है, जो मरीजों के रोग के साथ उनकी वेदना को भी समझते हैं और सिर्फ समझते ही नहीं है बल्कि उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास भी करते हैं। आज डॉक्टर्स डे के अवसर पर उन्हीं चिकित्सकों की बात ।

केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. वी.के.ओझा दुर्घटना में घायल लावरिस मरीजों का न सिर्फ इलाज करते हैं, बल्कि उन मरीजों को उनके परिजनों से मिलाने तक की जिम्मेदरी निभाते हैं,जब तक वह मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ नहीं कर देते तब तक स्वयं तथा विभाग के कर्मचारियों की मदद लेकर उस लावारिस मरीज की देखभाल करते हैं।

बात काफी पुरानी है केजीएमयू के ट्रामा इंचाज प्रो.संदीप तिवारी ट्रामा सेंटर के सामने से गुजर रहे थे, तभी उनकी नजर कंबल में लिपटे एक शख्स पर जाती है,शख्स अचेत अवस्था में था, आसपास भिनभिनाती मक्खियां कुल मिलाकर बीमार शख्स पूरी तरह से गंदगी में सराबोर था,वहां मौजूद सुरक्षा कर्मी भी उसके पास नहीं जा रहे थे, उस मरीज का कोई अपना भी नहीं था,ऐसे हालत में डॉ. संदीप तिवारी ने शख्स को खुद उठाया और ट्रामा सेंटर में उसे ले जाकर भर्ती कराया। हालांकि डॉ.संदीप तिवारी को यह कार्य करता देख सुरक्षाकर्मी भी मदद में आगे आये। यह बात तो एक बानगी है,आज भी ट्रामा सेंटर में मरीजों के भारी दबाव के बाद भी समस्या से ग्रसित व्यक्ति की सहायता करने में वह अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

वैसे तो सभी डॉक्टरों के लिए उनके मरीज का स्वास्थ्य सबसे पहले होता है, कोई भी डॉक्टर अपने मरीज के स्वस्थ करने की पूरी कोशिश करता है,लेकिन लोहिया संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग के विभागध्यक्ष प्रो.भुवन चंद्र तिवारी मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर 24 घंटे तत्पर रहते हैं, यह बात खुद उनसे इलाज करा चुके मरीज बताते हैं। डॉ.भुवन मरीज के इलाज में रात व दिन का समय नहीं देखते । अस्पताल हो या फिर फोन वह मरीजों के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं।

बस से सफर कर मरीजों को जाते थे देखने

केजीएमयू के क्लिनिकल हेमेटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.अनिल कुमार त्रिपाठी विभाग में आने वाले मरीजों को इलाज देने के साथ-साथ आज भी अपने जनपद में जाकर लोगों को इलाज मुहैया कराना नहीं भूलते,साल 1992 से शुरू हुआ उनका सफर आज भी जारी है, करीब 29 साल पहले उनका यह सफर शुरू हुआ था,तब वह बस से अपने जनपद अंबेडकर नगर जाते थे और दवायें भी साथ ले जाते थे,इतना ही नहीं आज भी विभाग में आने वाले कई गरीब मरीजों को नि:शुल्क रूप से दवायें उपलब्ध कराने का काम करते हैं।

मरीजों के लिए हैं सुलभ

केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुमित रूंगटा मरीजों के लिए काफी सुलभ माने जाते हैं ओपीडी हो या फिर विभाग, मरीज कहीं पर भी जाकर उनसे इलाज ले सकता है, कई बार दूर-दराज से आये मरीजों को ओपीडी व समय की जानकारी नहीं होती,ऐसे में भी प्राथमिकता के आधार पर मरीज को इलाज देने काम वह करते आ रहे हैं है,कोरोना काल में जब बहुत से लोग एक दूसरे से मिलना भी पसंद नहीं करते थे, ऐसे समय में भी डा.सुमित खतरा लेकर भी मरीजों की बात सुनते तथा उनकों इलाज देते रहे।

 
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