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जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मुहिम चलाने वाली ग्रेटा को नहीं मिला शांति का नोबेल

ओस्लो : नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा होने से पहले सटोरियों में स्वीडन जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के नाम पर चर्चा रही। हालांकि विशेषज्ञों ने इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद पर विश्वाश जताते हुए उन्हे शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना। लैडब्रॉक्स जैसी ऑनलाइन सट्टेबाजी साइटों पर 16 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग के नाम को लेकर चर्चा हुई। ग्रेटा को वैकल्पिक नोबेल माने जाने वाला एमनेस्टी इंटरनेशनल का शीर्ष सम्मान और राइट लाइवलीहुड अवार्ड मिल चुका है। ग्रेटा ने इस वर्ष सितंबर माह में संयुक्त राष्ट्र में जलवायु शिखर सम्मेलन में बेहद प्रभावशाली भाषण देकर वैश्विक सुर्खियां बटोरीं।  ओस्लो (प्रियो) में पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक हेनरिक उराल्ड ने एएफपी को बताया कि ग्रेटा को नोबेल मिलने की संभावना कम है। जलवायु परिवर्तन के लिए उनके प्रयास सराहनीय हैं लेकिन ग्रेटा की उम्र कम है। पाकिस्तानी कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई की तरह वह पुरस्कार साझा कर सकती हैं। नोबेल पुरस्कार समिति कभी भी नामांकित लोगों के नाम उजागर नहीं करती है। इसीलिए सभी संभावित नामों पर अटकलें लगयी जाती रही हैं। इस सूची में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी और एसओएस मेडिटेरेनी संगठन के नाम भी शामिल था। पिछले साल यौन हिंसा से लड़ने के लिए कांगो के स्त्री रोग विशेषज्ञ डेनिस मुक्वेगे और यजीदी कार्यकर्ता नादिया मुराद को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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